डीएनए हिंदी: चुनावी राजनीति में बड़ी हार के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अब एक पुराने केस में फिर घिरते नजर आ रहे हैं. 1998 के एक रोडरेज केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट पुनः याचिका दायर की गई है जिसको लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया है. ऐसे में इस केस का फैसला सिद्धू के लिए नी मुसीबतें ला सकता है.
दरअसल, सिद्धू के खिलाफ याचिका का मुद्दा 1988 का है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 3 साल की सजा वाले फैसले को मात्र 1000 रुपये के जुर्माने में बदल दिया था लेकिन अब इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविल्कर की पीठ के समक्ष सिद्धू के वकीलों ने कहा कि उनका इरादा हत्या करने का नहीं था. यह झगड़ा गाड़ी पार्क करने को लेकर हुआ था, जिसमें हाथापाई में गुरनमा सिंह के चेाट लग गई और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी.
वहीं इस मामले में दायर याचिका को लेकर सिद्धू के वकीलों की तरफ से कहा गया कि घटना के 38 साल बाद अब सजा बढ़ाने पर की मांग करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. कोर्ट को इस याचिका को खारिज कर देना चाहिए. सिद्धू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी और आर वसंत थे वहीं याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्क्ता सिद्धार्थ लूथरा थे.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 1988 के रोड रेज मामले में समीक्षा याचिकाओं के समय पर सवाल उठाना उचित नहीं था. आपको बता दें कि सिद्धू इस मामले में चार साल तक पेश नहीं हुए थे. सितंबर 2018 में पीड़ितों द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका पर पहली बार नोटिस जारी किया गया था. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और संजय किशन कौल की पीठ ने कहा, ''इस मामले का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. जब आप नोटिस जारी होने के बावजूद हाजिर नहीं होते हैं तो आपकी ओर से टिप्पणी करना उचित नहीं है."
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आपको बता दें कि चुनाव के दौरान इस मामले की सुनवाई होनी थी लेकिन कोर्ट की तरफ से लगातार उन्हें राहत मिल रही थी लेकिन अब इस मामले को लेकर कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है. ऐसें अब सिद्धू की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
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