न NDA में, न INDIA में, 2024 में कहां रहेंगे ओवैसी, KCR और मायावती

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 19, 2023, 10:12 AM IST

Mayawati, Owaisi and KCR

NDA vs INDIA: एनडीए बनाम INDIA की लड़ाई में कुछ पार्टियां ऐसी भी हैं जो अपने-अपने राज्यों में मजबूत हैं लेकिन उन्हें किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं किया गया है.

डीएनए हिंदी: पूरे जोरशोर के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई में एनडीए की बैठक हुई जिसमें 39 दल शामिल हुए. बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक हुई और 26 पार्टियों वाले इस गठबंधन को नया नाम INDIA दिया गया. इन दोनों गठबंधनों से इतर कुछ पार्टियां ऐसी रहीं जिनका वजूद और वोटबैंक काफी बड़ा है लेकिन उन्हें किसी भी गठबंधन की ओर से न्योता नहीं मिला. इसमें ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, तेलंगाना के सीएम केसीआर, आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, यूपी की पूर्व सीएम मायावती और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी जैसे कद्दावर नेता शामिल हैं.

कुछ महीने पहले ही केसीआर ही थे जो विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे थे. वह कई राज्यों में जाकर विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिले भी थे लेकिन अचानक वह शांत बैठ गए. एक समय पर केसीआर कह रहे थे कि सभी पार्टियां मिलकर मोदी को हराएं और इसके लिए फंडिंग वह करेंगे. अब हाल यह है कि न तो केसीआर को एनडीए में बुलाया गया और न ही विपक्षी गठबंधन के लिए केसीआर को न्योता मिला. यही हाल कमोबेश कई अन्य पार्टियों का है. इसमें खासकर वह पार्टियां हैं जिनका कांग्रेस से सीधा मुकाबला है या फिर वे गठबंधन की सहयोगी किसी पार्टी से सीधे मुकाबले में रहती हैं.

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यूपी में मायावती को नहीं मिला
2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा मिलकर चुनाव लड़े थे. इसमें मायावती की बसपा को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. हालांकि, यह गठबंधन टूट गया और 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा अकेले चुनाव लड़ी. नतीजा यह हुआ कि वह सिर्फ एक सीट पर सिमट गई. मायावती पर आरोप लगे कि सपा को हराने के लिए उन्होंने अपना वोट बीजेपी को ट्रांसफर कर दिया. इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि मायावती बीजेपी से ज्यादा सपा और कांग्रेस पर हमलावर रहती हैं. साथ ही, सपा और बसपा के दोबारा साथ आने की संभावना भी कम ही है.

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शायद यही वजह रही कि मायावती को विपक्ष की ओर से गठबंधन में शामिल होने का न्योता ही नहीं भेजा गया. इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि अगर मायावती इस गठबंधन में आतीं तो सपा के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर मामला फंस सकता था. सपा चीफ अखिलेश यादव कांग्रेस को भी ज्यादा सीट नहीं देना चाहते ऐसे में अगर बसपा भी होती तो मामला सीटों के बंटवारे पर ही फंस जाता.

एकला चलो की राह पर हैं जगन मोहन रेड्डी और नवीन पटनायक
ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी की मुख्य विरोधी कांग्रेस है. जगन मोहन रेड्डी को भी कांग्रेस से ही चुनौती मिल रही है. आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू भी कांग्रेस के साथ उतने सहज नहीं हैं. ऐसे में इन तीनों पार्टियों को कांग्रेस गठबंधन की ओर से न्योता नहीं मिला. कहा जा रहा है कि नवीन पटनायक को एनडीए के साथ लाने की कोशिश की भी गई लेकिन वह किसी भी गठबंधन के साथ जाना नहीं चाहते.

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AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी तेलंगाना में केसीआर के साथी हैं. बीजेपी के कट्टर आलोचक होने के साथ-साथ वह कांग्रेस, टीएमसी और समाजवादी पार्टी पर भी खूब हमलावर रहते हैं. इसके अलावा, वह यह भी कहते हैं कि ये पार्टियां उन्हें अछूत समझती हैं इसीलिए उन्हें विपक्ष की बैठक में बुलाया ही नहीं जाता है. अकाली दल भी एक ऐसी पार्टी है जो अब न तो कांग्रेस के साथ है और न ही बीजेपी के साथ. हालांकि, ये सभी पार्टियां अपने ही दम पर बड़ा उलटफेर करने की ताकत रखती हैं इसीलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में इन पर सबकी नजर रहेगी.

कितनी है इन पार्टियों की ताकत
BSP- 10 लोकसभा सांसद
YSR Congress-22 लोकसभा सांसद
BJD-12 लोकसभा सांसद
BRS-9 लोकसभा सांसद
AIMIM-2 लोकसभा सांसद
AKALI DAL-2 लोकसभा सांसद
TDP- 3 लोकसभा सांसद

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