मोदी सरकार के अहंकार ने ध्वस्त की संसदीय प्रणाली, मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्यों कहा, क्या चाहती है कांग्रेस?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 25, 2023, 02:42 PM IST

मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी. (तस्वीर-ANI)

नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह से 20 विपक्षी पार्टियों ने दूरी बना ली है. विपक्षी पार्टियों को ऐतराज है कि पीएम नरेंद्र मोदी संसद भवन का उद्घाटन कर रहे हैं.

डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह से दूरी बनाकर विपक्षी दलों को लामबंद करने की कोशिश की है. कुल 20 विपक्षी दलों ने इस समारोह से दूरी बनाने का ऐलान किया है. नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) पर कांग्रेस जमकर हमला बोल रही है.

कांग्रेस ने गुरुवार को कहा है कि एक व्यक्ति के अहंकार और स्व-प्रचार की इच्छा ने देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को इस भवन का उद्घाटन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है. 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ‘ध्वस्त’ कर दिया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'मोदी जी, संसद जनता द्वारा स्थापित लोकतंत्र का मंदिर है. राष्ट्रपति का पद संसद का प्रथम अंग है. आपकी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है. 140 करोड़ भारतीय जानना चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन का हक छीनकर आप क्या जताना चाहते हैं.'

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20 विपक्षी दलों ने किया है उद्घाटन समारोह से किनारा

कांग्रेस की इस टिप्प्णी से एक दिन पहले ही करीब 20 विपक्षी दलों ने कहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संसद भवन का उद्घाटन न करें, उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए. उद्घाटन समारोह का विरोध 20 राजनीतिक दल कर रहे हैं. इन दलों में कांग्रेस, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दल शामिल हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि केंद्र की मौजूदा सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है. 

उद्घाटन समारोह पर क्या बोल रहे हैं नेता?

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को करना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी. 

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'कल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में झारखंड उच्च न्यायालय में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया. एक व्यक्ति के अहंकार और स्व-प्रचार की इच्छा ने प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नयी दिल्ली में संसद के नए भवन के उद्घाटन के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है. अशोक द ग्रेट, अकबर द ग्रेट, मोदी द इनॉग्यरेट.'

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विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा के बाद BJP की अगुवाई वाले गठबंधन NDA ने उनकी जमकर निंदा की है. विपक्षी दलों के इस कदम को एनडीए ने भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान करार दिया. विपक्षी दलों का यह कृत्य केवल अपमानजनक नहीं बल्कि महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है. 

क्या चाह रहे हैं विपक्षी दल?

कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने मांग की है कि उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करें. सरकार पर राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए 19 दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि जब ‘लोकतंत्र की आत्मा को छीन लिया गया है’ तो उन्हें नए भवन में कोई महत्व नजर नहीं आता. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है. प्रधानमंत्री मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. (इनपुट: भाषा)

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