आतंकी संगठन ISIS कैसे भारतीय आतंकी संगठनों के साथ मिलकर तबाही की साजिश रच रहा है इस पर पढ़िए हमारे रिपोर्टर अमित भारद्वाज की विस्तृत रिपोर्ट...
डीएनए हिन्दी: भारत में दहशत फैलाने के मकसद से आतंकी रोज नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. ऐसे ही एक तरीके के तहत आतंकी अब भारत में घुसपैठ और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए मासूमों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, आतंकी संगठन ISIS कम उम्र के बच्चों को बड़ी संख्या में अपने संगठन में शामिल कर रहे हैं. भारत के पंजाब सहित कई राज्यों में उनके इस नापाक इरादे के बारे में पता चला है.
बच्चों को बना रहे हैं ढाल
आतंकी संगठन इन बच्चों के बहला-फुसलाकर उन्हें न सिर्फ ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि सीधे आतंकी गतिविधियों में शामिल करने की योजना बना रहे हैं. ISIS की इस साजिश में कई स्थानीय आतंकी संगठन भी शामिल हैं. एक अनुमान के मुताबिक, इस तरह की गतिविधियों में देश में कम से कम 10 आतंकी संगठन सक्रिय हैं.
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हाल ही कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और यूरोप की आतंकवाद विरोधी एजेंसियां एशिया में आतंकी गुटों की ओर से जारी भर्तियों को लेकर सतर्क हैं और इस दिशा में कार्रवाई के लिए उन्होंने भारतीय एजेंसियों को भी आगाह किया है. जारी अलर्ट में यह कहा गया है कि भारत सरकार को यह समझना चाहिए कि कैसे बच्चे आतंकी ग्रुपों में शामिल हो रहे हैं और और उन्हें इन ग्रुपों के प्रति किस तरह आकर्षित किया जा रहा है. अलर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर इन्हें रोकने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया तो यह घातक साबित हो सकता है. इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि इससे निपटने के लिए भारत की सभी सरकारों (केंद्र और राज्य) और राजनीतिक दलों को मिलकर काम करने की जरूरत है.
बच्चों की तस्करी और अपहरण
विदेशी एजेंसियों ने इस तरह की गतिविधियों के कई साक्ष्य भी दिए हैं. इसमें उनके Modus Operandi के बारे में भी चर्चा की गई है. रिपोर्ट में मुताबिक, जिन बच्चों को शामिल किया जाता है उनके परिवार वालों को यह विश्वास जताया जाता है कि संगठन उनके परिवार और समुदाय की रक्षा करेगा. बच्चों को भर्ती करने का एक और तरीका अपनाया जाता है जिसको सुन आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. इसमें बच्चों की तस्करी की जाती है, अपहरण किया जाता है और चुराया जाता है.
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एक और तरीका ये लोग अपनाते हैं. इनमें उन बच्चों को शामिल किया जाता है, जो बेसहारा हैं. उन्हें एक परिवार दिया जाता है जो असल में नाम का परिवार होता है, उसमें किसी का एक-दूसरे से कोई नाता नहीं होता है. बस दिखाने के लिए ये लोग एक साथ परिवार की तरह रहते हैं. इस तथाकथित परिवार में एक जगह से दूसरे जगह की मूममेंट भी तेज होती है. जैसे ही इनका मिशन पूरा होता है, ये सभी अलग हो जाते हैं.
लड़कों के साथ-साथ लड़कियां भी बन रहीं आतंकी
सूत्रों की मानें तो भारत और उसके आसपास के देशों पिछले कुछेक सालों में 20,000 से ज्यादा बच्चों को इस तरह की गतिविधियों के लिए भर्ती किया गया है. इतना नहीं अप्रैल, 2014 में 275 स्कूली बच्चियों को भी इसमें शामिल किया गया था. मार्च 2018 में भी 110 लड़कियों के इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने के सबूत मिले.
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सूत्रों से मिली जानकारी के मुतिबाकि, रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है की एशिया में ISIS के आतंकियों ने बच्चों को खास तौर पर निशाना बनाया है. उन्हें स्कूलों और घरों से अगवा भी किया है. 2914 में इराक के सिंजार से बड़ी संख्या में अनाथालयों से बच्चों को अगवा भी किया गया था. इसमें से एक तिहाई बच्चे 14 साल से कम उम्र के थे. सूत्रों के मुताबिक, आतंकी संगठन हमले के लिए इन बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके पीछे का कारण है कि बच्चों पर जल्दी किसी को शक नहीं होता.
भारत में यही तरीका अपनाया जा रहा है. अमृतसर में पकड़े गए ISIS के दो जासूसों ने भी इसकी पुष्टि की थी. उन्होंने खुलासा किया था कि आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भारत में भी बच्चों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें सरहदी इलाकों के अनाथ बच्चे भी शामिल हैं.
ध्यान रहे कि इसके पहले कश्मीर में भी बच्चों के इस्तेमाल करने का ट्रेंड सामने आ चुका है. इस मामले में कई गिरफ्तारियां भी हुई थीं.
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