डीएनए हिंदी: यौन शोषण के गंभीर आरोपों में पहले से कानूनी मुश्किलों का सामना कर रहे बृजभूषण शरण सिंह अब अवैध खनन से जुड़े एक मामले में फंसते नजर रहे हैं. बीजेपी सांसद पर आरोप है कि गोंडा जिले के कई गांवों में वह अवैध खनन की गतिविधियों में लिप्त हैं. अब इन आरोपों की जांच के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने एक संयुक्त समिति का गठन किया है. समिति को दो महीने में कार्रवाई रिपोर्ट (ATR) देने के लिए कहा गया है.
बृजभूषण शरण सिंह, पहले से ही गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं. भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख भी हैं, महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न मामले में भी आरोपी हैं. NGT में दायर याचिका में दावा किया गया है कि कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह तरबगंज तहसील के माझारथ, जैतपुर और नवाबगंज गांवों में अनधिकृत खनन कार्यों में शामिल थे, जिससे पर्यावरण को नुकसान हुआ.
याचिका में कहा गया है कि हर दिन 700 से अधिक ओवरलोडेड ट्रक निकाले जाते हैं. ये ट्रक लघु खनिजों के अवैध परिवहन में लगे हुए हैं. इन ओवरलोडेड ट्रकों की आवाजाही की वजह से पटपड़ गंज पुल और सड़क को भारी नुकसान हुआ है. करीब 20 लाख घन मीटर लघु खनिजों के भंडारण और अवैध बिक्री का भी जिक्र, याचिका में किया गया है.
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समिति में कौन-कौन है शामिल?
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने आवेदन पर विचार किया और कहा कि दावे पर्यावरणीय प्रश्न उठाते हैं. ट्रिब्यूनल ने मामले की जांच करने और आवश्यक उपचारात्मक उपाय करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है. समिति में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गोंडा के जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधि शामिल हैं.
क्या है NGT का आदेश?
NGT ने संयुक्त समिति को एक सप्ताह के भीतर बैठक करने, स्थिति का आकलन करने के लिए साइट का दौरा करने, याचिकाकर्ता की शिकायतों का समाधान करने, आवेदक और परियोजना प्रस्तावक की ओर से एक-एक प्रतिनिधि को शामिल करने का निर्देश दिया है. समिति आरोपों की जांच करेगी और अगर दोषियों के खिलाफ एक्शन लेगी.
समिति को विशेष रूप से 2016 के सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देशों और 2020 के रेत खनन के लिए प्रवर्तन एवं निगरानी दिशानिर्देशों के अनुपालन और खनन क्षेत्रों के पुनर्वास, उपचार और सरयू नदी को होने वाले किसी भी नुकसान पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है. पैनल ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 7 नवंबर को सूचीबद्ध किया है. उसने दो महीने के भीतर प्रस्तुत किए जाने वाले तथ्यात्मक निष्कर्षों का विवरण देने वाली एक कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) भी मांगी है. (इनपुट: IANS)
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