Nithari Kand: सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को आज होगी सजा, जानिए एक चप्पल से कैसे खुला था केस

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 19, 2022, 01:08 PM IST

निठारी कांड में दोषी हैं दोनों सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर

Nithari Case Noida: गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट निठारी कांड में दोषी करार दिए गए सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को सजा सुनाएगी.

डीएनए हिंदी: साल 2006 के चर्चित निठारी कांड में गुरुवार को सजा सुनाई जाएगी. इस केस के दो मुख्य दोषी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर पहले भी कई मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं.  लड़की की हत्या के मामले में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को दोषी करार दिया है. मोनिंदर सिंह पंढेर को मानव तस्करी के कानून के तहत दोषी पाया गया है. 

साल 2006 में निठारी गांव की कोठी नंबर D-5 से कई नरकंकाल मिले थे. यह केस गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में चल रहा है. निठारी कांड का खुलासा लापता लड़की पायल की वजह से हुआ था. उत्तराखंड का रहने वाला सुरेंद्र कोली D-5 कोठी में मोनिंदर सिंह पंढेर का नौकर था. परिवार के पंजाब चले जाने के बाद दोनों इसी कोठी में रह रहे थे.

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चप्पल की तलाश से खुल गया था केस
नाले से महिलाओं और बच्चों के कंकाल पाए जाने के बाद सीबाआई ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को गिरफ्तार कर लिया था. 7 मई 2006 को सीबीआई की टीम इस मामले में सबूत तलाश रही थी. कोली की निशानदेही पर D-5 कोठी की बाउंड्री के अंदर पड़ी चप्पल बरामद की जानी थी, जब लोग अंदर गए तो देखा गया कि कई सारी चप्पलें और कपड़े वहां पड़े थे. शक हुआ तो जिन लोगों के बच्चे गायब हुए थे उन्होंने भी खोजबीन चालू की. अंदर पड़े मलबे और कबाड़ को जब हटाया गया तो सबके होश उड़ गए. इसी के बाद एक-एक करके कई कंकाल मिलते चले गए.

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निठारी कांड की टाइमलाइन कुछ यूं है:-
29 दिसंबर 2006- नोएडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे बने नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले. मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया गया.
8 फरवरी 2007- कोली और पंढेर दोनों को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया.
मई 2007- CBI ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, रेप और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया. दो महीने बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे फिर से आरोपी बनाया.
13 फरवरी 2009- विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, रेप और हत्या का दोषी पाया और मौत की सजा सुनाई. इस मामले में यह पहला फैसला था.
3 सितंबर 2014- कोली के खिलाफ कोर्ट ने फांसी की सजा का वॉरंट जारी किया.
4 सितंबर 2014- सुरेंद्र कोली को फांसी देने के लिए डासना जेल से मेरठ जेल ट्रांसफर किया गया.
12 सितंबर 2014- इस तारीख से पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी. वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट को भेज दिया.
12 सितंबर 2014- सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी.
28 अक्तूबर 2014- सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया. 2014 में ही राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी.
28 जनवरी 2015- हत्या के मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया.

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