'ये जिंदगी की अनिश्चितता पर टैक्स' इंश्योरेंस पर GST हटाने की मांग कर Nitin Gadkari ने Nirmala Sitharaman से क्यों कही ये बात

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jul 31, 2024, 02:14 PM IST

Nitin Gadkari ने वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि जीवन और मेडिकल बीमा पर जीएसटी देना वरिष्ठ नागरिकों के लिए चुनौती जैसा है. इसे कम करना चाहिए.

अपनी बेबाकी के लिए मशहूर केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने एक बार फिर इसका नजारा दिखाया है. भाजपा नेता गडकरी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने जीवन और मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी (GST) की वसूली बंद करने की मांग की है. गडकरी ने पत्र में लिखा है कि इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 फीसदी GST लगाना 'जिंदगी की अनिश्चितता पर टैक्स वसूली जैसा है.' गडकरी ने इस टैक्स के कारण लोगों के बीमा खरीद में दिलचस्पी नहीं लेने की भी बात कही है. 

इंश्योरेंस प्रीमियम पर फिर से शुरू हो इनकम टैक्स छूट

नितिन गडकरी ने अपने पत्र में सीतारमण को बताया है कि वे ये पत्र जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ के नागपुर मंडल की तरफ से उन्हें सौंपे गए ज्ञापन के आधार पर लिखा है. उन्होंने कहा, जीवन व मेडिकल इंश्योरेंस पर 18 फीसदी टैक्स लगाना जिंदगी की अनिश्चतिता पर टैक्स वसूली जैसा है. संघ ने अपने ज्ञापन में लिखा है कि लोगों को जीवन के जोखिम के खिलाफ इंश्योरेंस कवर खरीद पर टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए. मेडिकल इंश्योरेंस सामाजिक रूप से बेहद जरूरी है, लेकिन इस पर 18 फीसदी टैक्स रास्ते में बाधा बन रहा है. इंश्योरेंस प्रीमियम पर इनकम टैक्स कटौती भी फिर से शुरू होनी चाहिए. गडकरी ने आगे लिखा है कि कर्मचारी संघ ने सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य इंश्योरेंस कंपनियों के एकीकरण का भी मुद्दा उठाया.

वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेहद भारी है जीएसटी

गडकरी ने यह भी कहा है कि इंश्योरेंस प्रीमियम पर भुगतान करना असल में वरिष्ठ नागरिकों पर बेहद भारी पड़ता है. गडकरी ने कहा, 'आपसे (सीतारमण से) गुजारिश है कि इंश्योरेंस प्रीमियर पर जीएसटी वापस लेने के सुझाव पर प्राथमिकता से विचार करें. इसके अन्य प्रासंगिक बिंदुओं का भी सत्यापन होना चाहिए. 

जून में भी उठी थी इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST हटाने की मांग

निर्मला सीतारमण के सामने इस साल जून में भी इंश्योरेंस प्रीमियम को घटाए जाने की मांग की गई थी. कन्फेडरेशन ऑफ जनरल इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सीतारमण से निजी मेडिकल पॉलिसी पर 18 के बजाय 5 फीसदी जीएसटी करने की अपील की थी. गैर-जीवन बीमा एजेंटों के निकाय ने यह भी कहा था कि इससे लोग सामाजिक सुरक्षा उपाय के तौर पर पॉलिसी खरीद के लिए प्रोत्साहित होंगे. एसोसिएशन ने सीतारमण को लिखे पत्र में कहा था कि 5 साल में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम दोगुना हो चुका है. इसके चलते पॉलिसी रिन्यूअल घट रहा है. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का औसत रिन्यूअल 65 से 75 फीसदी ही है. इसका मतलब है कि पॉलिसी होल्डर प्रीमियम बढ़ने और ज्यादा जीएसटी दर के कारण इस सामाजिक सुरक्षा से मुंह मोड़ रहे हैं. 

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