डीएनए हिंदी: Bihar News- बिहार में राम नवमी के मौके पर शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा की आंच कई इलाकों में अब भी सुलगने के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नए विवाद में फंस गए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक इफ्तार पार्टी में शिरकत करने को लेकर भाजपा ने उन्हें निशाने पर ले लिया है. भाजपा ने नीतीश पर वोट के लिए 'तुष्टिकरण की राजनीति' करने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि वे बिहार को इस्लामी राज्य में बदलना चाहते हैं. भाजपा ने नीतीश पर निशाना साधते हुए यहां तक कहा कि उनकी गठबंधन सहयोगी राजद अब उन्हें जल्द से जल्द पद से हटाना चाहती है, क्योंकि उन्हें होली तक के लिए ही सत्ता मिली थी.
'रोम जल रहा था, नीरो चैन की बंसी बजा रहा था'
जदयू सुप्रीमो व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार रात में पटना के फुलवारी शरीफ में एक इफ्तार पार्टी में पहुंचे थे. यह पार्टी इस्लामिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस ने दी थी. केंद्रीय मंत्री व बिहार से भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने इसे लेकर नीतीश पर निशाना साधा. उन्होंने मंगलवार को कहा, नीतीश कुमार वोट के लिए बिहार को इस्लामी राज्य में तब्दील करना चाहते हैं. उन्होंने 'जब रोम जल रहा था, नीरो चैन की बंसी बजा रहा था' मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि सासाराम व नालंदा समेत कई इलाकों में जब राम नवमी त्यौहार पर सांप्रदायिक हिंसा शुरू हुई थी तो मुख्यमंत्री इफ्तार पार्टियां अटैंड करने में बिजी थे.
'नीतीश को खींचकर कुर्सी से गिराने वाली है राजद'
गिरिराज ने नीतीश की सत्ता जल्द छिनने की भविष्यवाणी की. उन्होंने कहा, राजद उनसे जल्द से जल्द इस्तीफा चाहती है,क्योंकि उनके पास सत्ता केवल होली तक के लिए थी. गिरिराज ने नीतीश के लालकिले के डिजिटल बैकड्रॉप के सामने स्टेज पर खड़े होने के लेकर भी तंज कसा है. उन्होंने कहा, यह अच्छा है कि नीतीश ने डिजिटल रेड फोर्ट बैकड्रॉप वाले स्टेज पर जाना स्वीकार किया, लेकिन वह अपने प्रशासन से संपर्क बनाए रखना भूल गए और अब उन्हें कोई नहीं बचा सकता है.
सम्राट चौधरी और सुशील मोदी ने भी कसे तंज
भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी गिरिराज सिंह की बातों का समर्थन किया और नीतीश कुमार पर हिंसाग्रस्त इलाकों में नहीं जाने का आरोप लगाया. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी कहा कि नीतीश अपने प्रशासन से संपर्क खो बैठे हैं. इफ्तार पार्टी में जाना गलत नहीं है और यह करना भी चाहिए. यह उनकी इच्छा है कि वे लाल किले के सामने खड़े हों. वे चाहें तो व्हाइट हाउस के सामने भी खड़े हो सकते हैं. लेकिन हिंसा ग्रस्त इलाकों को भी याद रखना चाहिए.
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