डीएनए हिंदी: बिहार में जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने साथ मिलकर सरकार बनाई थी, तभी सियासी जानकारों ने कहा था कि यह गठबंधन बेमेल है, टिकेगा नहीं. कुछ दिन सभी सियासी जानकारों की भविष्यवाणी को धता बताकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली सरकार चली. दो धुर विरोधी पार्टियां एक प्लेटफॉर्म पर नजर आईं, पर अब ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार और लालू परिवार के बीच सब ठीक नहीं है. इस खबर पर मुहर तब लगी जब जननायक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती के मौके पर नीतीश कुमार ने परिवारवाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
बिहार में अगर परिवार पर नीतीश बोल रहे हैं तो कोई भी यह साफ समझ सकता है कि यह इशारा किसके लिए है. RJD सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव राज्य के डिप्टी सीएम हैं. उनके भाई तेज प्रताप यादव कैबिनेट मंत्री हैं. राबड़ी देवी पूर्व सीएम रह चुकी हैं. पूरा परिवार सत्ता में है, ऐसे में नीतीश कुमार के बयानों से पहले से उलझे समीकरण और बिगड़ते नजर आ रहे हैं.
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रोहिणी का नीतीश पर तंज
अब RJD-JDU के बीच तकरार और बढ़ गई है. लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ऐसा कुछ लिखा है जिसने इन अटकलों की पुष्टि कर दी है. उन्होंने लिखा, 'समाजवादी पुरोधा होने का करा वही दावा है, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है.' उन्होने एक और ट्वीट किया, 'खीज जताए क्या होगा जब हुआ न अपना योग्य, विधि का विधान कौन टाले जब खुद की नीयत में ही हो खोट.'
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रोहिणी का बयान नीतीश को नहीं आया रास
बिहार की राजनीति से वाकिफ लोग साफ तौर पर समझ जाएंगे कि इशारा नीतीश कुमार की ओर है. नीतीश कुमार के बेटे राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. उनके परिवार का कोई भी सदस्य सियासत का हिस्सा नहीं है. हाल के दिनों में वे कभी महागठबंधन का राग अलापे हैं, कभी एनडीए का. खुद पर ऐसे आरोपों की बौछार झेलकर नीतीश कुमार का भड़कना तय है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रोहिणी आचार्य का ट्वीट नीतीश को पसंद नहीं आया है, वह इस बारे में और जानकारी हासिल करना चाहते हैं.
बीजेपी पर नरम पड़े नीतीश कुमार के तेवर
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जब से बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है, तब से ही नीतीश कुमार के तेवर बीजेपी के लिए नरम पड़ गए हैं. नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है. वहीं आरजेडी की ओर से सरकार के फैसले को अवसरवादिता बताया जा रहा है. लोग रोहिणी के ट्वीट को बिहार के सियासी कलह से जोड़कर देख रहे हैं.
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