डीएनए हिंदी: बिहार (Bihar) में एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) जहां नेतृत्व संकट से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ सूबे में विपक्षी एकता की कवायद शुरू हो गई है. विपक्ष के नेताओं से मुलाकात करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच गए हैं. नीतीश कुमार दिल्ली में विपक्षी एकता की कवायद रच रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की है, अब वह मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी से भी मुलाकात करने वाले हैं.
नीतीश कुमार विपक्षी नेताओं के साथ मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करेंगे. यहीं से वह बिहार में सियासी गठजोड़ की कहानी लिखने वाले हैं. मंगलवार को दिल्ली पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से उनकी बेटी और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती के सरकारी आवास पर मुलाकात की थी.
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एक फोन और दिल्ली पहुंच गए नीतीश कुमार
मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार फोन किया था. उनकी ही अपील पर नीतीश कुमार दिल्ली पहुंचे हैं. नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता की जमीन तैयार करने के लिए व्याकुल नजर आ रहे हैं. हालांकि यह इतना आसान भी नहीं होने वाला है.
नीतीश कुमार तीन दिवसीय दौरे में कई दिग्गजों के मुलाकात करने वाले हैं. यहीं से लोकसभा चुनाव 2024 का खाका तैयार किया जाएगा. नीतीश कुमार ने खुद पिछले हफ्ते दावा किया था कि खड़गे के साथ उनकी फोन पर बातचीत हुई थी, जिन्होंने कथित तौर पर बिहार में भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा करने के लिए नीतीश कुमार को बैठक के लिए आमंत्रित किया था.
अगर एकजुट हुआ विपक्ष तो बिहार देगा झटका
अगर विपक्ष एकजुट हुआ तो लोकसभा की 40 सीटों पर बीजेपी को नुकसान पहुंच सकता है. राज्य में बीजेपी के लिए नेतृत्व संकट है. यहां का गेम बीजेपी के लिए आसान नहीं है. विपक्ष यही जानता है, जिसके लिए वह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं.
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महागठबंधन के साथ बिहार में सरकार बनाने के बाद से ही नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों में जुटे हैं. बीते साल सितंबर में नीतीश कुमार ने अपने दिल्ली के दौरे के दौरान सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, डी. राजा, सीताराम येचुरी और अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. इस बार भी अरविंद केजरीवाल ने इन्हीं नेताओं से मिलने का खाका तैयार हुआ है.
क्या नीतीश कुमार कर पाएंगे विपक्ष को एकजुट?
नीतीश कुमार के लिए एकजुटता की कवायद को अंजाम तक ले जाना मुश्किल है. ममता बनर्जी, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और मायावती समेत विपक्षी दलों को हमेशा से राहुल गांधी के नेतृत्व पर शक रहा है. उनके नाम पर विपक्षी दल एकजुट नहीं होते हैं. सबको कांग्रेस के नेतृत्व तले लाना, कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. देखने वाली बात यह होगी कि चुनावों से ठीक पहले क्या विपक्ष सारी विषमताओं को भूलकर एक साथ आता है या नहीं.
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