डीएनए हिंदी: जर्मनी में भारत के पूर्व राजदूत गुरजीत सिंह ने ज़ी मीडिया के खास कार्यक्रम में मौजूदा दौर को लेकर महत्वपूर्ण बात की है. उन्होंने कहा कि आज के दौर में चीज़ें बड़े पैमाने पर बदली हैं. आज विश्वास नहीं बचा है लेकिन सिर्फ़ ट्रांजैक्शन बचे हैं. साथ ही, उन्होंने कहा कि आज सिर्फ ट्रांजैक्शन हैं जो लगातार हो रहे हैं.
'आज क्या कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है'
ज़ी मीडिया के लर्निंग XP प्लैटफॉर्म पर बोलते हुए उन्होंने कहा, 'अतीत में बेहतरी के लिए जो कुछ भी किए गए हैं अर्थव्यवस्थाएं उसे ज्यादा वक्त तक याद नहीं रखती हैं. आप आज क्या कर रहे हैं, सिर्फ यही मायने रखता है.'
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भारत-चीन संबंधों पर कही बड़ी बात
भारत-चीन के संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा, 'चीन अभी भी भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. अमेरिका अभी भी दूसरे नंबर पर है. यह ध्यान रखने की बात है कि चीन की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक, 2022 के पहले क्वॉर्टर में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार $31.96 बिलियन है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार साल-दर-साल 15% की गति से बढ़ रहा है.'
'एशिया के आर्थिक संकट से निपटने में भारत की बड़ी भूमिका'
भारत का आयात साल 2021 के पहले क्वॉर्टर में 28% बढ़कर $27.69 बिलियन तक पहुंच गया है. दूसरी ओर निर्यात $4.87 बिलियन के साथ 26% का रहा है. यह स्पष्ट संकेत है कि चीनी सामानों पर भारत की निर्भरता अभी भी बहुत ज़्यादा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को रोकने के लिए दक्षिण एशिया में जारी आर्थिक संकट के बीच भारत को अपने पड़ोसी देशों के लिए बड़ी भूमिका निभानी होगी.
चीन से निपटने के लिए दिया सुझाव
उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को लेकर कहा कि देशों के साथ मित्रता एक कीमत लेकर आती है. पूर्व राजदूत ने कहा, 'आर्थिक संकट के दौरान दूसरे देशों की मदद करने के लिए भारत को कदम उठाने ही होंगे. अगर हमें चीन से मुकाबला करना है तो हमें आर्थिक दबाव को वहन करना ही होगा.'
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