डीएनए हिंदी: 1947 का भारत-पाकिस्तान का वो विभाजन, जब भी जहन में आता लोग सहम जाते हैं. ये दो देशों का बंटवारा नहीं था, बल्कि कई ऐसे परिवार भी थे. जिन्हें बंटवारे के कारण अपनों को छोड़कर सीमा के उस पार जाना पड़ा था. ऐसा ही एक मामला मुमताज बीबी का है. जो विभाजन के दौरान पाकिस्तान (Pakistan) चली गईं थी. सिख परिवार में जन्म लेने के बाद भी मुस्लिम (Muslim) हो गईं. अब 75 साल बाद जब मुमताज अपने सिख परिवार से मिली तो पूरा परिवार भावुक हो गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंटवारे के दौरान उनकी मां की हत्या कर दी गई थी. उस दौरान मुमताज बीवी 2 या 3 साल की थी. मुमताज अपनी मां के शव के पास बैठी रो रही थी. तभी मोहम्मद इकबाल और उनकी पत्नी अल्ला रक्खी की नजर उस पर पड़ी तो गोद में उठा लिया. बंटवारे के बाद इकबाल बच्ची को शेखपुरा जिले स्थित अपने घर ले आया. यहां दोनों ने बच्ची का पालन पोषण किया और मुमताज नाम रखा. इतना ही नहीं, इकबाल और उनकी पत्नी ने कभी नहीं बताया कि मुमताज उनकी बच्ची नहीं है. उन्होंने हमेशा अपनी सगी बेटी जैसा प्यार दिया. उसकी पढ़ाई कराई और फिर सारे रीति रिवाज से शादी कराई.
ये भी पढ़ें- Shariat कोर्ट ने कहा बैंकिंग सिस्टम है इस्लाम के खिलाफ, कैसे नया पाकिस्तान बनाएंगे शहबाज शरीफ?
सोशल मीडिया के जरिए हुई मुलाकात
दो साल पहले जब अचानक मोहम्मद इकबाल की तबियत बिगड़ी तो उन्हें मुमताज को सच बताना पड़ा. उन्होंने मुमताज को बताया कि वह उनकी सगी बेटी नहीं है और न ही वो जन्म से मुस्लिम हैं. असल में वह हिंदुस्तान में रहने वाले एक सिख परिवार की बेटी है. पिता की मौत के बाद मुमताज ने अपने परिवार को सोशल मीडिया के जरिए खोजना शुरू किया. इसमें उनका साथ मां आला रक्खी और बेटे शहबाज ने भी दिया. दोनों ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी कोशिशें शुरू कीं.
ये भी पढ़ें- India Pakistan Relations: क्या शहबाज के पीएम बनने से भारत के रुख में हुआ बदलाव?
उन्हें मुमताज के असली पिता का नाम और पंजाब के पटियाला स्थिति सिदराणा गांव का नाम याद था. उनकी यह पहल रंग लाई और दोनों ही परिवार सोशल मीडिया के जरिए जुड़ गए. इस दौरान मुमताज ने भाईयों से मिलने की इच्छा जताई तो भाई गुरमीत सिंह, सरदार अमरिंदर सिंह और सरदार नरेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ करतारपुर कॉरिडोर पहुंच गए और बहन से मुलाकात की. इस दौरान पूरा परिवार भावुक हो गया. भाई-बहन से मिलकर खूब रोए.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.