इंस्टा रील्स से लेकर पढ़ाई तक, परीक्षा पे चर्चा में PM ने क्या दी छात्रों को सीख? 10 पॉइंट्स में पढ़ें

अभिषेक शुक्ल | Updated:Jan 29, 2024, 01:00 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (तस्वीर-PTI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोर्ड एग्जाम से पहले छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा की. पीएम ने उन्हें सही तैयारी और सधी हुई मेहनत की सीख दी है. पढ़ें पीएम मोदी ने क्या-क्या कहा?

डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं से ठीक पहले छात्रों के साथ परीक्षा पे र्चा की है. प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को सलाह दी है कि उन्हें परीक्षा से पहले इतना परेशान नहीं होना चाहिए कि अवसाद में चले जाएं. पीएम मोदी ने अभिभावकों से कहा है कि वे अपने बच्चों पर इतना मानसिक तनाव न दें कि उनके जीवन पर नकारात्मक असर पड़े.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न मानें. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को खुद से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, दूसरों से नहीं. 

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इस बार का परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के नवनिर्मित भारत मंडपम के टाउन हॉल में हुआ है. प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा के सातवें संस्‍करण में छात्रों के साथ बातचीत की है. आइए जानते हैं पीएम मोदी के स्पीच की 10 अहम बातें.

1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए. आपको एक बच्चे की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है. कुछ माता-पिता अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड समझते हैं, यह अच्छा नहीं है.

2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'छात्रों पर तनाव तीन प्रकार का होता है. यह कभी साथियों के दबाव से प्रेरित होता है तो कभी माता-पिता द्वारा और कभी स्वयं से भी प्रेरित होता है. पिता, शिक्षकों या रिश्तेदारों की 'रनिंग कमेंट्री' और हर बार नकारात्मक तुलना एक छात्र की मानसिक भलाई के लिए हानिकारक है.'

3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'दबाव इतना नहीं होना चाहिए कि यह किसी की क्षमताओं को प्रभावित करे. यह भलाई के बजाय नुकसान ज्यादा करता है. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शत्रुतापूर्ण तुलनाओं और वार्ताओं के माध्यम से छात्रों के मनोबल और आत्मविश्वास को कम करने के बजाय उनके साथ उचित और सौहार्द्रपूर्ण बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान किया जाए.'   

4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'कई बार बच्चे खुद पर दबाव बनाते हैं कि वे उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं. मेरा सुझाव है कि आपको तैयारी के दौरान छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए. इस तरह आप परीक्षा से पहले पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे.'

5. छात्र-शिक्षक संबंधों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'यह संबंध ऐसा होना चाहिए कि छात्रों को शिक्षक के साथ 'विषय से संबंधित बंधन' से परे कुछ महसूस हो. यह बंधन गहरा होना चाहिए! यह रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि छात्र अपने तनाव, समस्याओं और असुरक्षा के बारे में अपने शिक्षकों से खुलकर चर्चा कर सकें.'

6. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'जब शिक्षक अपने छात्रों को अच्छी तरह से सुनेंगे और उनके मुद्दों को पूरी ईमानदारी से संबोधित करेंगे, तभी छात्र बेहतर करेंगे.'

7. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'शिक्षक का काम सिर्फ नौकरी करना या उसे बदलना नहीं है बल्कि उसका काम जिंदगी को संवारना है तथा जिंदगी को सामर्थ्य देना है. ऐसे ही शिक्षक परिवर्तन लाते हैं.'

8. पीएम मोदी ने कहा, 'परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम उनके लिए भी एक परीक्षा की तरह है. परीक्षाओं से पहले छात्रों के साथ अपने संपर्क कार्यक्रम की सातवीं कड़ी में उन्होंने कहा कि छात्र पहले से कहीं अधिक नवाचारी हो गए हैं.'

9. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'हमारे छात्र हमारे भविष्य को आकार देंगे.'

10. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'एक के बाद एक रील्स देखते रहेंगे तो समय बर्बाद हो जाएगा, नींद खराब होगी, जो पढ़ा है वो याद नहीं रहेगा. नींद को कम ना आंके. आधुनिक हेल्थ साइंस नींद को बहुत महत्व देता है. आप नींद आवश्यक लेते हैं या नहीं, यह आपके स्वास्थ्य पर ध्यान देता है.  जिस उमर में हैं, उसमें जिन चीजों की जरूरत है वो आहार में है या नहीं यह जानना जरूरी है. हमारे आहार में सुतंलन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, फिटनेस के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए, जैसे रोज टूथब्रश करते हैं वसे ही नो कॉम्प्रोमाइज एक्सरसाइज करनी चाहिए.'

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बेहद काम की है पीएम मोदी की ये टिप्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आज परीक्षा में सबसे बड़ा चैलेंज होता है लिखना, इसलिए अपना ध्यान प्रैक्टिस में रखें. परीक्षा से पहले विषय के बारे में या जो पढ़ा है वह लिखें फिर खुद ही उसे ठीक करें. क्योंकि अगर आपको तैरना आता है तो पानी में जाने से डर नहीं लगता. जो प्रैक्टिस करता है उसे भरोसा होता कि मैं पार कर जाऊंगा. जितना ज्यादा आप लिखेंगे उतनी ज्यादा शार्पनेस आएगी. परीक्षा कक्ष में कोई अन्य छात्र कितनी स्पीड से लिख रहा है, अगल-बगल में कौन क्या कर रहा है वो सब छोड़कर खुद पर भरोसा रखें.'

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