Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का दमदार प्रदर्शन जारी है. भारत के लिए क्लब थ्रो में भी दो एथलीट्स ने मेडल जीतकर गजब का कारनामा किया है. पेरिस पैरालंपिक खेलों के सातवें दिन बुधवार को पुरुषों की क्लब थ्रो में (F51 कैटेगरी) में धर्मबीर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को 5वां गोल्ड मेडल जिताया. इसी इवेंट में उनके साथी प्रणव सूरमा भी 8वां सिल्वर मेडल भारत के नाम करने में सफल रहे. भारत को एक और मेडल मिल सकता था, लेकिन इसी इवेंट में उतरे अमित कुमार 10वां स्थान ही हासिल कर सके. इससे पहले बुधवार को ही तीरंदाजी में हरविंदर सिंह ने भारत को चौथा गोल्ड मेडल जिताया था.
धर्मबीर ने चौथे प्रयास में फेंकी गोल्डन थ्रो
धर्मबीर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता. टोक्यो पैरालंपिक में कुछ खास नहीं कर पाए 35 वर्षीय धर्मबीर ने अपने चौथे प्रयास में 34.92 मीटर की गोल्डन थ्रो के साथ मेडल पक्का किया और एशियाई रिकॉर्ड पर भी अपना नाम लिखवा लिया. उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक खेलों- 2020 में फेंके अपने थ्रो को यहां करीब 10 मीटर के अंतर से सुधार दिया है. उनके बाद प्रणव सूरमा ने भी 34.59 मीटर के थ्रो के साथ सिल्वर मेडल अपनी झोली में डाला. यह पैरालंपिक खेलों के इतिहास में क्लब थ्रो इवेंट में भारत के पहले पदक हैं. इससे पहले भारत इस इवेंट में कभी पदक नहीं जीता है. यह पहला मौका है, जब पैरालंपिक खेलों में किसी ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में पहले दोनों स्थान भारत के नाम रहे हैं.
मेडल टैली में 13वें स्थान पर पहुंचा भारत
अब पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारत के 24 मेडल्स हो गए हैं और वह इन खेलों के लिए तय किए गए 25 मेडल के टार्गेट को पूरा करने से महज एक कदम दूर पहुंच गया है. भारत पेरिस पैरालंपिक खेलों की मेडल टैली में अब 13वें स्थान पर आ गया है. भारत अब तक 5 गोल्ड, 8 सिल्वर और 11 ब्रॉन्ज मेडल जीत चुका है.
नहर में तैरते समय लगी चोट ने बदली धर्मबीर की जिंदगी
साल 2014 में पैरा एथलीट बने धर्मबीर हरियाणा के सोनीपत निवासी हैं. गांव की नहर में नहाने के लिए कूदते समय चट्टान से टकराने के कारण उनका कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था. इसके बाद वे जिंदगी से निराश हो गए, लेकिन भारतीय पैरालंपियन अमित कुमार सरोहा के संपर्क में आने से उन्हें नया मकसद मिला और वे पैरा एथलीट बन गए. शुरुआत में उन्होंने अमित की देखरेख में ही डिस्कस थ्रो से शुरुआत की थी, लेकिन बाद में वे क्लब थ्रो से जुड़ गए.
सिर पर गिरी सीमेंट की चादर ने प्रणव को दे दी व्हीलचेयर
सिल्वर मेडल जीतने वाले प्रणव सूरमा जब 16 साल के थे, तब उनके सिर पर एक सीमेंट की चादर गिर गई थी. इससे उनकी रीढ़ की हड्डी में ऐसी चोट लगी कि वे फिर दोबारा अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सके. छह महीने अस्पताल में बिताने के बाद व्हीलचेयर पर बैठकर बाहर निकले प्रणव कई साल तक इस निराशा से जूझते रहे, लेकिन आखिरकार उन्होंने इस निराशा को मात दी और फिर पैरा एथलेटिक्स में अपने लक्ष्य तय कर लिए.
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