डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी रेडियो प्रोग्राम मन की बात के 100वें एपिसोड का प्रसारण हुआ. देशभर में मन की बात कार्यक्रम सुनाने के लिए 4,00,000 सेंटर बनाए गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह कार्यक्रम अब जन आंदोलन बन गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज मन की बात कार्यक्रम का सौंवा एपिसोड है.मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियां मिली हैं, लाखों संदेश मिले हैं और मैंने कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा चिट्ठियों को पढ़ पाऊं, देख पाऊं और संदेशों को जरा समझने की कोशिश करूं.
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मन की बात में क्या है पीएम मोदी की अहम बातें? पढें-
1. पीएम मोदी ने कहा, 'आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर संभाल भी लिया. आपने मुझे 'मन की बात' के 100वें एपिसोड पर बधाई दी है, लेकिन मैं सच्चे दिल से कहता हूं, दरअसल बधाई के पात्र तो आप सब 'मन की बात' के श्रोता हैं, हमारे देशवासी हैं.'
2. पीएम मोदी ने कहा, '3 अक्टूबर 2014 को विजया दशमी का वो पर्व था और हम सबने मिलकर विजया दशमी के दिन 'मन की बात' की यात्रा शुरू की थी. विजय दशमी यानी, बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व, ‘मन की बात’ भी देशवासियों की अच्छाइयों का सकारात्मकता का एक अनोखा पर्व बन गया है. एक ऐसा पर्व, जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है.
3. पीएम मोदी ने कहा कि हम मन की बात कार्यक्रम में पॉजिटिविटी को सेलिब्रेट करते हैं. ङम इसमें पीपुल्स पार्टिसिपेशन को भी सेलिब्रेट करते हैं. कई बार यकीन नहीं होता कि 'मन की बात' को इतने महीने और इतने साल गुजर गए. हर एपिसोड अपने-आप में खास रहा.
4. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मन की बात एक ऐसा उत्सव बन गया है, जो भारत की सकारात्मकता, इसके लोगों का जश्न मनाता है. चाह वह स्वच्छ भारत हो, खादी हो या आजादी का अमृत महोत्सव हो, मन की बात में उठाए गए मुद्दे जन आंदोलन बन गए.
5. पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे लिए मन की बात एक कार्यक्रम नहीं, आस्था, पूजा, व्रत है. जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं. प्रसाद की थाल लाते हैं. मेरे लिए मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है. मन की बात मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है. मन की बात स्व से समष्टि की यात्रा है. अहं से वयं की यात्रा है. ये मैं नहीं तू ही संस्कार साधना है. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि 'मन की बात' की रिकॉर्डिंग के समय कई बार भावुक भी हुआ. इसकी वजह से कई बार दोबारा रिकॉर्डिंग की गई.'
6. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस कार्यक्रम ने कभी मुझे आप लोगों से दूर नहीं होने दिया. जब मैं सीएम था, वहां लोगों से मिलना जुलना हो जाता था, लेकिन जब 2014 में दिल्ली आया तो मैंने पाया कि यहां का जीवन बहुत अलग है. दायित्व अलग, सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा, शुरुआती दिनों में कुछ अलग महसूस होता था.
7. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, '50 साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जाएगा. जो देशवासी मेरा सब कुछ है, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था. 'मन की बात' ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया, सामान्य मानवी से जुड़ने का रास्ता दिया. पदभार और प्रोटोकॉल, व्यवस्था तक ही सीमित रहा और जनभाव, कोटि-कोटि जनों से साथ, मेरे भाव, विश्व का अटूट अंग बन गया.'
8. पीएम मोदी ने कहा, 'मेरा अटूट विश्वास है कि सामूहिक प्रयास से बड़े से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. इस साल हम जहां आजादी के अमृतकाल में आगे बढ़ रहे हैं. वहीं जी-20 की अध्यक्षता भी कर रहे हैं. यह भी एक वजह है कि एजुकेशन के साथ-साथ डाइवर्स ग्लोबल कल्चर्स को समृद्ध करने के लिए हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है.
9. पीएम मोदी ने कहा, 'ऐसे ही हमने स्वच्छ सियाचिन, सिंगल यूज प्लास्टिक और ई-वेस्ट जैसे गंभीर विषयों पर भी लगातार बात की है. आज पूरी दुनिया पर्यावरण के जिस मुद्दे को लेकर इतना परेशान है, उसके समाधान में मन की बात के प्रयास बहुत अहम है.'
10. पीएम मोदी ने कहा, 'आज देश में टूरिज्म बहुत तेजी से ग्रो कर रहा है. हमारे ये प्राकृतिक संसाधन हों, नदियां, पहाड़, तालाब या फिर हमारे तीर्थ स्थल हों, उन्हें साफ रखना बहुत जरूरी है. ये टूरिज्म इंडस्ट्री की बहुत मदद करेगा. पर्यटन में स्वच्छता के साथ-साथ हमने इन्क्रिडिबल इंडिया मूवमेंट की भी कई बार चर्चा की है. इस मूवमेंट से लोगों को पहली बार ऐसे कितनी ही जगहों के बारे में पता चला, जो उनके आस-पास ही थे.
सुनिए मन की बात कार्यक्रम-
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11. पीएम मोदी ने कहा, 'मैं हमेशा ही कहता हूं कि हमें विदेशों में टूरिज्म पर जाने से पहले हमारे देश के कम से कम 15 टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जरूर जाना चाहिए और यह डेस्टिनेशन जिस राज्य में आप रहते हैं, वहां के नहीं होने चाहिए आपके राज्य के बाहर के होने चाहिए.'
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