'तो अयोध्या नहीं लौटूंगा', 32 साल पहले का वह संकल्प, जिसे पूरा करने जा रहे नरेंद्र मोदी

Written By अभिषेक शुक्ल | Updated: Jan 14, 2024, 03:50 PM IST

14 जनवरी 1992 को प्रधानमंत्री मोदी रामलला के टेंट में.

प्रधानमंत्री मोदी ने साल 1992 में संकल्प लिया था कि जब तक राम मंदिर नहीं बनेगा, अयोध्या नहीं लौटेंगे. उनका संकल्प पूर्ण हो चुका है.

डीएनए हिंदी: 14 जनवरी 1992. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा निकाल रहे थे. उनकी यात्रा इसी दिन अयोध्या पहुंची. अयोध्या में राम जन्मभूमि में प्रधानमंत्री ने कदम रखा. रामलला टेंट में थे. न सिर पर छत, न मंदिर की भव्यता न ही आज जैसे आज की तरह उत्सव का माहौल. प्रधानमंत्री रामलला का हाल देखकर भावुक हो गए. 

जैसे ही वजह रामलला के मंदिर के बाहर पहुंचे, कुछ पत्रकार भी वहां पहुंच गए. उन्होंने सवाल किया कि आप दोबारा यहां कब आएंगे? नरेंद्र मोदी ने तपाक से जवाब दिया, जब राम मंदिर बन जाएगा, तभी अयोध्या लौटूंगा.उन्होंने कहा था कि मंदिर बनने के बाद ही अयोध्या लौटूंगा. राम मंदिर आंदोलन के नेताओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 32 साल पहले का संकल्प पूरा हो गया है.

कन्याकुमारी, कश्मीर से लेकर अयोध्या तक की इस यात्रा के अगुवा मुरली मनोहर जोशी ने की थी. तब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक से हटकर गुजरात के बीजेपी महासचिव बने थे. नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर को लेकर शुरु से बेहद भावुक थे. साल 1998 में मॉरीशस में अंतरराष्ट्रीय रामायण कॉन्फ्रेंस में भी उन्होंने यह दोहराया था कि अयोध्या राम लला का है, जब तक वह विराजेंगे नहीं, रामभक्त आंदोलन नहीं रोकेंगे.

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टेंट से भव्य मंदिर तक रामलला के कैसे गुजरे 32 साल
अयोध्या में रामलला 22 जनवरी को विराजने वाले हैं. अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में वैदिक अनुष्ठान शुरू होने वाले हैं. देवताओं को आह्वाहित किया जाएगा, प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी पूरी हो रही हैं. यह तस्वीर याद दिला रही है कि कैसे रामलला को एक अरसा टेंट में बिताना पड़ा है, अब उनके महल में विराजने का वक्त आ गया है.

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कब अयोध्या में विराजेंगे रामलला 
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होने वाली है. प्रधानमंत्री मोदी प्राण प्रतिष्ठा के लिए विशेष अनुष्ठान पर हैं. जब वह प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य यजमान होंगे, तब रामलला के टेंट में उनकी तस्वीर याद दिलाएगी कि यह दिन आसानी से नहीं आया है. इसके पीछे 3 दशकों अनवरत संघर्ष है.

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