डीएनए हिंदीः पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री की दौड़ सबसे आगे चल रहे शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) का पैतृक गांव भारत में है. अमृतसर के जट्टी उमरा गांव के निवासी शहबाज शरीफ की सफलता के लिए दुआएं कर रहे हैं. शहबाज शरीफ पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं. जट्टी उमरा गांव के लोग गुरूद्वारे में दुआ कर रहे हैं कि पड़ोसी देश की कमान फिर से शरीफ परिवार के हाथों में आ जाए.
गांव में मेडिकल प्रैक्टिक कर रहे डॉ. दिलबाग सिंह ने बताया कि हमने शहबाज शरीफ के पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रार्थना की. दिलबाग सिंह के पिता स्वर्गीय मासा सिंह नवाज़ शरीफ़ और शहबाज़ शरीफ़ के पिता मियां मुहम्मद शरीफ़ के दोस्त थे.
विभाजन के समय पाकिस्तान गया था शरीफ का परिवार
शरीफ का परिवार विभाजन से पहले ही पाकिस्तान चला गया था. शहबाज शरीफ और उनके बड़े भाई नवाज शरीफ पाकिस्तान में ही पैदा हुए. 2013 में शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पंजाब के सीएम के तौर पर अपने पैतृक गांव आए थे. अपने गांव के विकास के लिए कई तरह के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का भी उद्घाटन किया. अपने पैतृक गांव के रहने वाले भारतीय लोगों को शरीफ परिवार दुबई में मौजूद अपने फैक्ट्रियों में नौकरी भी देता है.
यह भी पढ़ेंः Shahbaz Sharif के लिए आसान नहीं होगी राह, पाकिस्तान का नया पीएम बनने के साथ ही सामने होंगी ये चुनौतियां
गांव के पूर्व सरपंच रहे दिलबाग सिंह शरीफ के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद के लिए दावा करने से खुश हैं. उन्हें उम्मीद है कि पाकिस्तान के सांसदों की मदद से वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने जाएंगे. भारत-पाकिस्तान व्यापार फिर से शुरू होने और दोनों देशों के बीच विवाद के कारण बने मुद्दे का हल निकलने की उम्मीद के साथ गांव के एक और निवासी बलविंदर सिंह ने कहा, “शहबाज शरीफ के हाथों में पाकिस्तान की कमान जाने से बेहतर कुछ नहीं होगा क्योंकि उनकी जड़ें भारत में हैं वो सभी मुद्दों को बातचीत की मेज पर हल करना चाहेंगे.”
सलामती के लिए की प्रार्थना
गांव के लोग गांव के ही गुरूद्वारे पर इकठ्ठे हुए और शहबाज शरीफ की सलामती और तरक्की के लिए प्रार्थना की. गांव वालों ने पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद शहबाज शरीफ को उनके पैतृक गांव में आने का न्यौता दिया. दिलबाग सिंह ने कहा "पहले वो पाकिस्तान के पंजाब के सीएम के तौर पर आए थे. अब हम उन्हें पाकिस्तान के पीएम के तौर पर गांव में देखना चाहते हैं. ये हमारे पूरे गांव के लिए गर्व का विषय है"
गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.