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Pune Bomb Blast: जब 12 साल पहले दहल गया था पुणे, 17 लोगों ने पलभर में गंवाई थी जान, अब तक नहीं मिला इंसाफ!

यह विस्फोट इतना खतरनाक था कि 17 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी वहीं 64 लोग घायल हो गए थे. मृतकों में 5 विदेशी भी शामिल थे.

Pune Bomb Blast: जब 12 साल पहले दहल गया था पुणे, 17 लोगों ने पलभर में गंवाई थी जान, अब तक नहीं मिला इंसाफ!

Pune Bomb Blast Case.

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डीएनए हिंदी: 13 फरवरी 2010 को पुणे में हुए जर्मन बेकरी ब्लास्ट को हुए 12 साल बीत गए हैं. रोज की तरह इस दिन भी शाम को पुणे के कोरेगांव पार्क में स्थित जर्मन बेकरी में लोग खड़े थे. ठीक 7 बजकर 15 मिनट पर एक ब्लास्ट हुआ और देखते ही देखते 17 लोगों की मौत हो गई. बम ब्लास्ट में 64 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे. आतंकी हादसे की प्लानिंग एक अरसे से कर रहे थे और इसे अंजाम भी ऐसे दिया कि लोग मिनटों में खत्म हो गए.

जर्मन बेकरी बेहद लोकप्रिय जगह थी. स्थानीय लोग और विदेशी लोगों में इस जगह को लेकर गजब का क्रेज देखने को मिलता था. पर्यटक हों, स्टूडेंट हों या यहां कई पीढ़ियों से रह रहे लोग, अमूमन जो भी इस राह से गुजरता, यहां ठिठक जाता था. आतंकियों को इस बात की खबर थी कि अगर यहां ब्लास्ट करेंगे तो बात दूर तलक जाएगी.

पुणे बम ब्लास्ट की अंतरराष्ट्रीय साजिश हुई थी. कोलंबो में मिर्जा हिमायत बेग नाम के एक शख्स को ट्रेनिंग दी गई थी. उदगीर के एक साइबर कैफे में बम तैयार किया गया था. पुलिस ने इस केस में मोहसिन चौधरी, यासीन भटकल, रियाज भटकल, इकबाल भटकल और फैयाज को आरोपी बनाया था. पुलिस के मुताबिक हिमायत बेग ने बम को तैयार किया था. वहीं बचाव पक्ष ने यह तर्क दिया था कि जब धमाका हुआ तब हिमायत बेग शहर से बाहर था. 

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हिमायत बेग की हुई थी पहली गिरफ्तारी

पुणे बम ब्लास्ट केस में पहली गिरफ्तारी हिमायत बेग की ही हुई थी. 7 सितंबर 2010 को पुणे में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. उसके घर से 1,200 किलो विस्फोटक सामग्री भी बरामद की गई थी. इस केस में 102 लोगों की गवाही हुई थी और जांच अब तक जारी है. पुणे के सत्र न्यायलय ने सेशंस कोर्ट ने 2013 में हिमायत बेग को फांसी की सजा सुनाई थी जिसे मार्च 2016 में उम्र कैद में बदल दिया गया था.

परिवार को आज भी इंसाफ की उम्मीद!

जर्मनी बेकरी ब्लास्ट केस की जांच अब भी जारी है. पुणे की एक कोर्ट ने जर्मन बेकरी विस्फोट मामले में आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के कथित सह-आरोपी यासीन भटकल के खिलाफ आरोप भी तय कर दिए हैं. ट्रायल अब भी चल रहा है. कुछ गुनाहगारों की तलाश हादसे के 12 साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है. 

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बम ब्लास्ट में घायल बचे हुए लोग और मृतकों के परिवारों को अब भी इंसाफ की तलाश है. कुछ लोगों ने ब्लास्ट में अपने हाथ-पैर भी गंवा दिए थे. विकलागों के पुनर्वास के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. 

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