Punjab Congress और सिद्धू ने खोई हुई राजनीतिक जमीन पाने के लिए शुरू किया संघर्ष

| Updated: Apr 01, 2022, 10:26 PM IST

नवजोत सिंह सिद्धू  

पंजाब चुनाव में मिली बुरी हार के बाद धीरे-धीरे प्रदेश में कांग्रेस अपनी स्थिति पुख्ता करने के लिए कोशिश कर रही है. रवींद्र सिंह रॉबिन की रिपोर्ट.

पंजाब विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद घरों में बंद हो गए कांग्रेस नेतृत्व ने धीरे-धीरे अपनी सक्रियता बढ़ानी शुरू कर दी है. इस कड़ी में नवजोत सिंह सिद्धू सबसे आगे हैं और वह लगातार पार्टी में जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, प्रदेश में पार्टी की शर्मनाक हार के बाद हाई कमान उनसे इस्तीफा ले चुकी है. 
 
सिद्धू ने पिछले कुछ दिनों में फिर से अपनी राजनीतिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं. महंगाई और तेल की कीमतों में वृद्धि पर वह मुखर तरीके से बोल रहे हैं. उन्होंने अमृतसर में इस पर एक प्रदर्शन भी किया है.

सिद्धू के साथ कांग्रेस के पूर्व उपमुख्यमंत्री ओपी सोनी समेत कांग्रेस नेताओं की एक पूरी टीम भी इसमें शामिल थी. इनमें से कई नेता हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में हारे हैं. साथ ही, मौजूदा विधायकों ने भी सिद्धू के साथ प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. इस प्रदर्शन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर महंगाई रोकने में असफल रहने के लिए आलोचना की है. उन्होंने कहा, 'महंगाई ने गरीबों पर सबसे बुरी चोट की है. भारत के 5% अमीरों पर इसका असर नहीं हुआ है क्योंकि महंगाई बढ़ने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा है.'

 
सिद्धू ने 2 दिन पहले ही कांग्रेस के दलित कार्यकर्ता इकबाल सिंह के पैतृक गांव कासोना (फिरोजपुर जिले) में जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की है. उन्होंने परिवार को दुख की इस घड़ी में सांत्वना दिया है और उनके लिए न्याय की मांग की है.

बाद में, इकबाल सिंह की 3 लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी है. बताया जा रहा है कि तीनों आरोपी आम आदमी पार्टी के समर्थक हैं. सिद्धू ने इस घटना के बाद पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी और ट्वीट किया, ''न्याय मिलने में देरी का मतलब न्याय से दूरी है. दोषियों (आप के गुडों) पर तुरंत केस दर्ज होना चाहिए और गिरफ्तार करना चाहिए.'' सिद्धू ने बताया कि इस मुद्दे को उन्होंने जिला प्रशासन के सामने भी उठाया है और आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की है. इसके अलावा, उन्होंने पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की भी मांग की है.  

कांग्रेस हाई कमान को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमिटी का नया अध्यक्ष अभी चुनना है. सिद्धू ने अपनी संभावनाएं बरकरार रखी हैं और वह लगातार सार्वजनिक स्तर पर बोल रहे हैं कि पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता हैं. सिद्धू लगातार कह रहे हैं कि वह पार्टी का जो भी फैसला होगा उसे स्वीकार करेंगे.

हालांकि, कांग्रेस ने इस चुनाव में 77 सीट से 18 पर पहुंचने के बाद प्रदेश के निष्प्रभावी हो गए नेताओं को बाहर किया है. इस तरह की नई कोशिशें कांग्रेस नेतृत्व के राजनीतिक भविष्य को बेहतर बनाने की चाबी है. कांग्रेस के लिए यह जरूरी भी है क्योंकि वह अपने राजनीतिक आकाओं से मिले भयानक झटके से उबरना शुरू कर चुकी है.

(रवींद्र सिंह रॉबिन वरिष्ठ पत्रकार हैं और ज़ी मीडिया से जुड़े हुए हैं. राजनीतिक, सामाजिक, वैश्विक मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं.)

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