Shiromani Akali Dal को संजीवनी क्यों देना चाहता है अकाली गुट, क्या एकजुट होंगे सिख संगठन?

Written By रवींद्र सिंह रॉबिन | Updated: May 08, 2022, 10:54 AM IST

बादल परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है अकालियों की राजनीति. (फाइल फोटो)

अकाली दल चाहते हैं कि शिरोमणि अकाली दल की अगुवाई बादल परिवार के अलावा दूसरे गुट करें.

डीएनए हिंदी: पंजाब (Punjab) की राजनीति में कभी सिखों की सबसे मजबूत आवाज रही शिरोमणि अकाली दल (B) सबसे बिखरी हुई पार्टी बन गई है. सिखों के हितों की राजनीति करने वाली यह पार्टी जनाधार खो रही है और खराब स्थिति में है. 

मौजूदा स्थिति से नाराज अकाली के कुछ गुटों ने एक बार फिर से एकजुटता की अपील की है. सिखों के की सर्वोच्च संस्थाओं में से एक अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अकाली गुटों से अपने मतभेदों को भूलकर एक बार फिर से सिखों के हित में काम करने की अपील की है.

 विधानसभा चुनावों में महज 3 सीटों पर सिमटी SAD(B) की स्थिति 2017 में ही अलग थी. पार्टी के पास 15 सीटें थीं. 14 दिसंबर 1920 के बाद अब यह पार्टी अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है. 

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भाई-भतीजावाद ने बुरा किया अकाली दल का हश्र

SAD(B) देश की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टियों में से एक रही है. सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में शिरोमणि अकाली दल पर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने का आरोप हमेशा से लगता रहा है. विरोधी गुट इसे भाई-भतीजावाद की ध्वजवाहक पार्टी भी कहते हैं. कांग्रेस (Congress) चुनावों में अक्सर इसी पर आरोप लगाती है.

क्यों हाशिए पर पहुंचा शिरोमणि अकाली दल?

शिरोमणी अकाली दल के बुरे दौर की कुछ वजहें हैं. हाल ही में परमजीत सिंह सरना के नेतृत्व वाली शिरोमणि अकाली दल (डी) और आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक एचएस फुल्का ने अपील की थी कि अकाली के कार्यक्रमों में एकजुटता दिखाई जाए. जग आसरा गुरु ओट (JAGO) ने भी अकालियों से अपील की है कि एकजुट हों.

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सिखों के हितों की उठने लगी है मांग

परमजीत सिंह सरना और मंजीत सिंह जीके दोनों दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं. दोनों दिल्ली और पंजाब में अपना राजनीतिक भविष्य देख रहे हैं. मंजीत सिंह जीके ने सिख धार्मिक और राजनीतिक दलों के एक फेडरेशन की मांग उठाई है. इस फेडरेशन का मकसद सिख प्रतिनिधियों से बातचीत और उनके हितों के लिए काम करने का है. 

'SAD का पतन सिख समुदाय के लिए ठीक नहीं'

ज्ञानी हरप्रीत सिंह बातों-बातों में इस ओर इशारा कर चुके हैं कि विधानसभा चुनावों में बादल के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल का पतन सिखों और राष्ट्र के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने शिरोमणि अकाली दल को बचाने की अपील की थी. अकाली गुट चाहते हैं कि अब लोग एकजुटता की दिशा में काम भी करें. 

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क्यों एकजुट नहीं हो पा रहा है अकाली गुट?

राजनीति पर बारीकी से नजर रखने वाले मनोहर लाल शर्मा ने आशंका जाहिर की है कि अकाली दल कभी एकजुट नहीं होंगे. शिरोमणि अकाली दल (बी) बादल परिवार के बिना आगे बढ़ेगा. दूसरे गुट चाहते हैं कि बादल परिवार को किनारे कर दिया जाए. अभी अकाली गुटों को अभी संजीवनी की जरूरत है. सिर्फ सिखों का दल बनने से यह अभी दूर की कौड़ी नजर आ रही है.

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