Punjab New DGP: इंजीनियर रह चुके हैं VK Bhawra, जानिए कैसे हुई सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय की छुट्टी

Written By पुष्पेंद्र शर्मा | Updated: Jan 08, 2022, 07:16 PM IST

vk bhawra

इससे पहले वह 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए थे.

डीएनए हिंदी: पंजाब पुलिस की कमान आईपीएस वीरेश कुमार भावरा (VK Bhawra) को सौंप दी गई है. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शनिवार को नए डीजीपी के नाम पर मुहर लगाई.

पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक मामले में पंजाब पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी. इसके बाद पंजाब के कार्यवाहक डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय सवालों के घेरे में थे. कार्यवाहक डीजीपी के बाद फिरोजपुर के एसएसपी हरमनदीप को भी हटा दिया गया है. उनकी जगह पर नरिंदर भार्गव एसएसपी नियुक्त किए गए हैं.

कौन हैं वी.के. भावरा?
वीरेश कुमार भावरा 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने पंजाब में चुनाव का ऐलान होते ही शनिवार को पंजाब पुलिस के महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया. उनकी अगुवाई में ही पंजाब पुलिस विधानसभा चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था संभालेगी. इससे पहले वह 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए थे.

लिंक्डइन पर उनकी प्रोफाइल के मुताबिक, वह 30 साल से पुलिस सेवा में हैं. उन्हें लॉ एन्फोर्समेंट के साथ आईटी, क्रिमिनल इंवेस्टीगेशन, सिक्योरिटी इंटेलीजेंस, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, स्म​गलिंग, पब्लिक पॉलिसी, ह्यूमन राइट्स से जुड़े विषयों पर काम का अनुभव है.

भावरा 1980-1985 तक एनआईटी कुरुक्षेत्र से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर चुके हैं. उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से बैचलर ऑफ लॉ (एलएलबी) और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र से मास्टर ऑफ लॉज (एलएलएम) की डिग्री हासिल की है. वह इससे पहले चंडीगढ़ के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं. वहीं 1985 से 1987 तक भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड में एनालिस्ट के तौर पर काम कर चुके हैं.

सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय इस तरह हुए बाहर
यूपीएससी की ओर से तीन वरिष्ठतम अधिकारियों के एक पैनल को मंजूरी देने के बाद सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय डीजीपी की दौड़ से बाहर हो गए थे. 31 मार्च 2022 तक चट्टोपाध्याय के पास छह माह का कार्यकाल नहीं बचा था. वरिष्ठता, योग्यता और छह महीने के कार्यकाल के यूपीएससी मानदंड के अनुसार तीन अधिकारियों के नाम फाइनल किए गए थे. यूपीएससी ने 1988 बैच के प्रबोध कुमार, 1987 बैच के वीके भावरा और दिनकर गुप्ता के नाम को मंजूरी दी थी.

चूंकि दिनकर गुप्ता और प्रबोध कुमार केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर जाने की इच्छा जता चुके हैं इसलिए उन्होंने डीजीपी पद पर नियुक्ति से इंकार कर दिया. इसे देखते हुए भावरा को पंजाब के नया डीजीपी तय माना जा रहा था.

पंजाब डीजीपी पर राजनीति
पंजाब में डीजीपी पद पर काफी राजनीति हो चुकी है. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सीएम बनते ही जब अपने पसंदीदा अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को कार्यकारी डीजीपी नियुक्त किया तो नवजोत सिंह सिद्धू ने नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था. सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को सिद्धू का करीबी माना जाता है. वह डीजीपी पद पर चट्टोपाध्याय नियुक्त कराना चाहते थे.

आखिरकार सिद्धू के दबाव में ही चन्नी सरकार ने नए डीजीपी के लिए अफसरों का पैनल यूपीएससी को भेजा. इसके बाद इकबाल प्रीत सिंह सहोता को हटाकर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को कार्यकारी डीजीपी बना दिया गया. इस बार भी यूपीएससी को भेजे पैनल में उनका नाम प्रमुखता से रखा गया लेकिन नियुक्ति के नियमों ने उन्हें इस पद से बाहर कर दिया. अंतत: वीके भावरा को पंजाब का डीजीपी चुन लिया गया.

भावरा ने नियुक्ति के बाद कहा कि पंजाब पुलिस चुनाव का संचालन बेहतर तरीके से करेगी. उनका फोकस नशीली दवाओं के खतरे और आतंकवाद से लड़ाई पर होगा.

पंजाब में एक ही चरण में चुनाव
चुनाव आयोग ने शनिवार को पंजाब समेत 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया. पंजाब में 14 फरवरी को मतदान होगा. नतीजे 10 मार्च को आएंगे.