PV Narasimha Rao की नीतियों ने दिखाई थी भारत को तरक्की की दिशा, अब मिलेगा Bharat Ratna

Written By अभिषेक शुक्ल | Updated: Feb 09, 2024, 02:37 PM IST

पीवी नरसिम्हा राव. (फाइल फोटो)

कांग्रेस के दिग्गज नेता पीवी नरसिम्हा राव को भारत में आर्थिक सुधार लाने का श्रेय दिया जाता है. उनकी नीतियों ने देश के आर्थिक विकास को नई गति दी थी.

पूर्व प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पीवी नरसिम्हा राव को साल 1991 में भारत में आर्थिक सुधार लाने का श्रेय दिया जाता है. उनकी नीतियों ने बदनाम लाइसेंस राज को खत्म किया था, जिसकी वजह से देश की आर्थिक नितियों को बल मिला और विकास की ओर देश बढ़ा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. उन्हें पूर्व पीएम राव की जमकर तारीफ भी की. उन्होंने X पर पोस्ट किया, 'यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधान मंत्री,  पीवी नरसिम्हा राव गरू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में, नरसिम्हा राव गारू ने विभिन्न क्षमताओं में बड़े पैमाने पर भारत की सेवा की. उन्हें उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए भी उतना ही याद किया जाता है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधान सभा के सदस्य के रूप में उन्होंने देश की सेवा की है. उनके दूरदर्शी नेतृत्व से भारत आर्थिक रूप से उन्नत बना, देश की समृद्धि और विकास की एक ठोस नींव रखी गई.'

पीवी नरसिम्हा राव कौन थे?
पामुलपर्थी वेंकट नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को हुआ था. उन्होंने 23 दिसंबर 2004 को अंतिम सांस ली. वे पेशे से एक वकील थे. उन्होंने राजनीति में कदम रखा तो विभाजित आंध्र प्रदेश के कद्दावर कांग्रेस नेता बने. वे भारत के नौवें प्रधानमंत्री बने. उन्होंने 1991 से 1996 के बीच देश पर शासन किया.

1991 में, जब भारत विदेशी मुद्रा भंडार संकट का सामना कर रहा था तब नरसिम्हा राव की सरकार ने तीन बड़े आर्थिक सुधार किए. उन्होंने वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण पर जोर दिया. पीवी नरसिम्हा राव दक्षिण भारत से भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थेय

उनका जन्म वारंगल के नरसंपेट मंडल के लक्नेपल्ली गांव में एक तेलुगु नियोगी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. यह जिला वर्तमान में तेलंगाना में है. वे एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1930 के दशक के अंत में हैदराबाद के वंदे मातरम आंदोलन में भाग लिया था.

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