Qutub Minar Hearing: कोर्ट रूम में कैसे सवाल, कौन सी दलीलें, 5 पॉइंट में जानें दिन भर क्या हुआ

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 24, 2022, 04:24 PM IST

कुतुब मीनार

Qutub Minar Case में कोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई है. याचिकाकर्ताओं की ओर से संवैधानिक अधिकारों और धार्मिक मान्यताओं का हवाला दिया गया है.

डीएनए हिंदी: कुतुब मीनार मामले में सुनवाई आज पूरी हो गई और 9 जून को फैसला सुनाया जाएगा. आज कोर्ट में हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं और बेंच की ओर से भी कई सख्त सवाल पूछे गए. ऐतिहासिक तथ्यों के साथ कई धार्मिक मान्यताओं का जिक्र भी कोर्ट में किया गया है. आज सुनवाई पूरी हो गई है और 9 जून को फैसला सुनाया जाएगाय जानें बहस के दौरान उठाए गए 5 महत्वपूर्ण बिंदु.

1) याचिकाकर्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि सरकार ने कुतुब मीनार को संरक्षित स्‍मारक घोषित किया गया है. पिछले 800 साल से इसे मुस्लिम इस्‍तेमाल नहीं कर रहे थे. वहां मस्जिद बनने से काफी पहले मंदिर था तो उसका जीर्णोद्धार क्‍यों नहीं किया जा सकता है? 

2) याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कुतुब मीनार में फिर से पूजा और प्राण प्रतिष्ठा की अनुमति दी जानी चाहिए. इस तर्क के जवाब में सिविल जज ने कहा कि अगर इसकी अनुमति दी गई तो संविधान के ढांचे, सेकुलर चरित्र को नुकसान पहुंचेगा.

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3) जैन के दावे पर अदालत ने पूछा कि अब आप जीर्णोद्धार कहकर इस स्‍मारक को मंदिर बनाना चाहते हैं. मेरा सवाल है कि अगर यह मान लें कि 800 साल पहले मंदिर था तो भी आप यह दावा कैसे करेंगे कि वादियों का उस पर कानूनी अधिकार बनता है? इसके जवाब में याचिकाकर्ता जैन ने कहा कि अगर यह हिंदू मंदिर है तो इसकी इजाजत क्‍यों नहीं दी जा सकती? कानून यही कहता है कि एक बार संपत्ति देवता की हो गई तो उन्‍हीं की रहती है. 

4) जैन ने तर्क देते हुए कहा कि उनके संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है. कोर्ट ने सवाल किया कि विस्तार से समझाएं कि किस तरह से संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन हो रहा है. इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने अनुच्‍छेद 25 का जिक्र किया.  फिर अनुच्‍छेद 13(1) का जिक्र करते हुए जैन ने कहा कि मूल अधिकार कभी समाप्‍त नहीं हो सकते. 

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5) याचिकाकर्ता के संवैधानिक अधिकारों के तर्क पर अदालत ने पूछा कि क्‍या यह (पूजा) मूल अधिकार है? जैन ने जवाब में हां में दिया तो कोर्ट ने पूछा कि कैसे? जैन ने कहा कि भारत में हजार साल पुराने मंदिर है, उनकी तरह यहां भी पूजा हो सकती है. न्‍यायिक प्रक्रिया से तय होगा कि मेरा कोई अधिकार नहीं है. अयोध्‍या केस की व्‍यवस्‍था के हिसाब से अगर भगवान बच गए तो पूजा का अधिकार बच जाता है यानी पूजा का मेरा अधिकार बचा हुआ है.

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