डीएनए हिंदी: Rahul Gandhi News- पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने रद्द कर दी है. राहुल गांधी को सूरत की सेशन कोर्ट से मानहानि मामले में 2 साल की सजा सुनाए जाने के कारण यह फैसला हुआ है. राहुल की सदस्यता खारिज होने के साथ ही केरल की वायनाड लोकसभा सीट को खाली हो गई है, जहां से राहुल गांधी फिलहाल कांग्रेस के सांसद थे. अब इस लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराए जाएंगे. हालांकि इस मामले में अब तक भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission Of India) का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन आयोग के सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव की प्रोसेस शुरू कर दी गई है. आयोग के सूत्रों का कहना है कि वायनाड सीट पर अप्रैल में उपचुनाव आयोजित किए जा सकते हैं.
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उपचुनाव की राह में है अभी ये तकनीकी बाधा
दरअसल चुनाव आयोग इस बात पर मंथन कर रहा है कि क्या उपचुनाव की तारीख घोषित कर देना चाहिए या इस मामले में राहुल गांधी के अगले कदम को देखना चाहिए. बता दें कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता भले ही रद्द कर दी गई है, लेकिन वे इसके खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं. इसके अलावा यदि राहुल सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर गुजरात हाई कोर्ट से स्टे लेने में सफल रहते हैं तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है. यदि हाई कोर्ट से भी स्टे नहीं मिलता है तो वे राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. ऐसे में फिलहाल उपचुनाव घोषित करने से पहले आयोग इन सब पहलुओं को परख लेना चाहता है.
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2019 में दो सीटों से लड़े थे चुनाव, वायनाड जीते थे और अमेठी में मिली थी हार
राहुल गांधी लोकसभा में उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से जीतकर तीन बार सांसद बने थे, लेकिन साल 2019 में उन्होंने अमेठी के साथ ही केरल की वायनाड सीट से भी पर्चा भरा था. राहुल को जहां गांधी परिवार के पुख्ता गढ़ अमेठी में स्मृति ईरानी ने 55 हजार वोट से मात दी थी, वहीं वायनाड में राहुल ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पीपी सुनीर को 4 लाख से भी ज्यादा वोट से हराया था.
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नहीं मिली राहत तो खत्म हो जाएगा राजनीतिक करियर
राहुल गांधी को यदि लोकसभा सदस्यता खत्म होने के मामले में कोर्ट से राहत नहीं मिली तो उनका करियर खत्म होने के आसार हैं. राहुल गांधी की उम्र 52 साल है, लेकिन वे गांधी परिवार का वंशज होने के बावजूद अब भी पार्टी के अंदर सर्वमान्य नेता नहीं हैं. उनके खिलाफ विरोध की आवाज उठती रही है. आम जनता में भी उनकी छवि चमत्कारी नेता के बजाय अजीब बयान देने वाले नेता की रही है. यदि उनकी सदस्यता खारिज होने का फैसला कायम रहता है तो राहुल अगले आठ साल के लिए चुनावी राजनीति से दूर हो जाएंगे. सक्रिय राजनीति से इतने साल दूर रहने पर उनका दोबारा जोरशोर से वापसी कर पाना संभव नहीं लग रहा है.
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