डीएनए हिंदी: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने बुधवार को पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय पहुंचकर पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ मुलाकात की. हालांकि इसे एक औपचारिक मुलाकात बताया जा रहा है लेकिन राजस्थान विधान सभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर दोनों नेताओं की इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है.
राजस्थान में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का मन बना चुका बीजेपी आलाकमान वसुंधरा राजे सिंधिया के कद और राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए उन्हें कोई बड़ी भूमिका दे सकता है. विधान सभा चुनाव के लिए बनने वाली चुनाव प्रचार कमेटी की कमान सौंपने सहित कई अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है.
विधानसभा चुनावों में दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं वसुंधरा
वसुंधरा राजे सिंधिया वर्तमान में पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है लेकिन वे राजस्थान में होने वाले विधान सभा चुनाव में अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है. वसुंधरा गुट की तरफ से लगातार आलाकमान से यह मांग की जा रही है कि पार्टी उन्हें अपना चेहरा घोषित कर चुनाव में उतरे, जबकि उनके विरोधी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं.
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वसुंधरा की महत्वाकांक्षा बीजेपी नेताओं को दे रही टेंशन
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हाल ही में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की वकालत करते हुए यह कहा था कि, जिस पार्टी के पास दुनिया का सबसे लोकप्रिय चेहरा और सबसे सक्षम नेतृत्व हो उस पार्टी को चेहरों के होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता. हमारे पास मोदी का इतना सशक्त चेहरा है जिनके लिए देश की जनता में आज भी इतना जबरदस्त क्रेज है. हम राजस्थान में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेंगे और आगे की प्रक्रिया तय करना पार्टी के संसदीय बोर्ड का काम है. संसदीय बोर्ड यह तय करेगा कि राजस्थान का नेतृत्व कौन करेगा.
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क्या इंतजार करते रह जाएंगे गजेंद्र सिंह शेखावत?
वसुंधरा राजे और बीएल संतोष की मुलाकात इशारा कर रही है कि राज्य में सीएम फेस वसुंधरा बनी रह सकती हैं. एक बार फिर गजेंद्र सिंह शेखावत को इंतजार करना पड़ सकता है. पिछले विधानसभा चुनावों में भी गजेंद्र सिंह को इंतजार करना पड़ा था. वह भी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाहिर कर चुके हैं. अब देखने वाली बात होगी कि चुनाव से पहले बीजेपी में कहीं कांग्रेस वाली स्थिति न बन जाए. (इनपुट: IANS)
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