Rajya Sabha Election 2022: लोकसभा चुनाव के लिए अभी से प्लान तैयार कर रहे हैं अखिलेश यादव, क्या है नई रणनीति?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 29, 2022, 01:21 PM IST

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव. (फाइल फोटो-PTI)

राज्यसभा चुनावों के लिए अखिलेश यादव जिन चेहरों को आगे कर रहे हैं उनके जरिए लोकसभा चुनावों को साधने की कोशिश साफ झलकती है.

डीएनए हिंदी: राजनीति में हर फैसले नफा-नुकसान देखकर किए जाते हैं. अगर किसी पार्टी के अस्तित्व पर बन आए तो फैसले और भी अहम हो जाते हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) हर बार मोदी मैजिक (Modi Magic) के आगे बेबस हो जाती है. ऐसे में पार्टी को संकट से उबारने के लिए समाजवादी पार्टी ने नई रणनीति का सहारा लिया है.

अखिलेश यादव राज्यसभा चुनावों के जरिए लोकसभा को साधने की कोशिश कर रहे हैं. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अखिलेश यादव ने प्लान भी तैयार कर लिया है. यही वजह है कि राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, रालोद प्रमुख जयंत चौधरी और जावेद अली खान को भेज रहे हैं. एक प्लान के जरिए सपा अध्यक्ष कई लक्ष्यों को हासिल करना चाहते हैं.

UP Rajya Sabha Election: चौंका सकती है बीजेपी की लिस्ट, योगी के एक मंत्री भी जा सकते हैं राज्यसभा 

कैसे मुस्लिम वोट साधेंगे अखिलेश यादव?

आजम खान की नाराजगी अखिलेश यादव के लिए भारी पड़ सकती है. डैमेज कंट्रोल के लिए अखिलेश यादव ने खास प्लान ही तैयार कर लिया. सपा से नाराज चल रहे आजम खान को मनाने के लिए उनके वकील रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को सपा ने अपने समर्थन से प्रत्याशी बनाया. 

जयंत चौधरी को प्रत्याशी बनाकर गठबंधन धर्म निभाने का संदेश दिया है. संभल के जावेद अली खां पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है. साथ ही पार्टी ने आजम से बढ़ती दूरियों के बीच मुस्लिम मतदाताओं को भी साधने का प्रयास किया है. कपिल सिब्बल के नाम भी पर भी मुसलमानों को ऐतराज नहीं है. जावेद अली खान लोकप्रिय नेताओं में शुमार रहे हैं, वहीं जयंत चौधरी मुस्लिम-यादव समीकरणों को भुनाने में माहिर माने जाते हैं.

राज्यसभा में अब सपा की आवाज बनेंगे कपिल सिब्बल

समाजवादी पार्टी के पास राज्यसभा में कोई बुद्धिजीवी चेहरा नहीं था. अब अखिलेश के इस फैसले से पार्टी को राज्यसभा में एक बुलंद आवाज मिल सकती है. तो वहीं पार्टी के अंदर चल रही अंदरूनी राजनीति भी खत्म हो सकेगी. 

मुलायम सिंह यादव की बढ़ती उम्र एक बड़ा मुद्दा है. अब वह मुखरता से अपनी बात नहीं रख सकते हैं. दिल्ली की सियासत में उनका टिकना मुश्किल है. किसी अनुभवी नेता की जरूरत सपा को थी यही वजह है कि कपिल सिब्बल पर भरोसा जाताया गया.

आजम खान के साथ खत्म कर सकेंगे सियासी तल्खी?
आजम खान के तेवर समाजवादी पार्टी के खिलाफ हैं. आजम खान मुस्लिमों के बड़े नेता हैं. आजम को मनाने में कपिल सिब्बल बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. विधानसभा चुनाव में जिस तरह अल्पसंख्यक समुदाय ने एकतरफा सपा का साथ दिया उससे यह तय माना जा रहा था कि राज्यसभा चुनाव में सपा किसी मुस्लिम चेहरे को मौका देंगे. उम्मीद के मुताबिक जावेद अली खान को सपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है.

अखिलेश ने क्यों जयंत को भेजा राज्यसभा?

यूपी में सरकार बनाने में भले ही अखिलेश यादव फेल रहे हों लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनकी सीटें बढ़ गई हैं. लोकसभा चुनावों में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटर का भरोसा मिले इसके लिए अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.

Haryana Politics: हरियाणा में वापसी की कोशिश में जुटी कांग्रेस, क्या हैं चुनौतियां?

विधानसभा चुनाव में अखिलेश और जयंत की जोड़ी ने भाजपा का गढ़ बन चुके पश्चिमी यूपी में चुनौती बढ़ा दी थी. किसान आंदोलन से प्रभावित रहे गन्ना बेल्ट में भले ही भाजपा एक बार फिर मिठास चखने में सफल रही, लेकिन कई सीटों पर उसे जोरदार झटका लगा और गन्ना मंत्री सुरेश राणा तक चुनाव हार गए. 

Congress ही नहीं, G-23 भी बिखराव की ओर!

जयंत के प्रत्याशी बनाने से रालोद के वोटरों को लगेगा कि अखिलेश यादव अपने सहयोगी पार्टी को आगे बढ़ा रहे हैं. गठबंधन भावना और मजबूत होगी. समाजवादी पार्टी अब छोटे सहयोगी दलों के जरिए सत्ता में आने का सपना देख रही है. कांग्रेस और बसपा जैसे दलों के साथ जाने का फैसला अखिलेश यादव के लिए बुरा साबित हुआ था. (IANS इनपुट के साथ)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

akhilesh yadav Rajya sabha Election kapil sibal Jayant Chaudhary