डीएनए हिंदी: Ayodhya Ram Mandir Inauguration- अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं. 22 जनवरी को 550 साल बाद रामलला मंदिर के गर्भगृह में फिर से विराजेंगे. मंदिर का निर्माण अभी चल रहा है, ऐसे में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर साधु-संतों के अलग-अलग तरह के मत सामने आ रहे हैं. इसे लेकर विवाद खड़े हो गए हैं. हिंदू धर्म में शंकराचार्य को सर्वोच्च धर्मगुरु माना जाता है. यह माना जाता है कि देश के चारों कोनों पर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित पीठ के शंकराचार्यों के अधीन ही संपूर्ण सनातन धर्म है. सर्वोच्च गुरु होने के बावजूद चारों शंकराचार्य भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने जा रहे हैं. इससे समारोह को लेकर चल रहा विवाद और ज्यादा बढ़ गया है.
अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को उचित नहीं मान रहे शंकराचार्य
शंकराचार्यों का मानना है कि अधूरे घर में नहीं रहा जाता. राम मंदिर भी अभी पूरा नहीं बना है. ऐसे में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती. उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने तो साफ तौर पर अयोध्या नहीं जाने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि पूरा मंदिर नहीं बना है. अधूरे मंदिर में शास्त्रों के अनुसार भगवान की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती. पूर्वाम्नाय जगन्नाथ पुरी की गोवर्धन पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी समारोह में नहीं जाने की बात कही है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गर्भगृह में जाकर देव विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा करने को भी शास्त्र विरुद्ध बताया है. उन्होंने कहा है कि ऐसी जगह देव विग्रह की बजाय भूत-पिशाच हावी हो जाते हैं. उन्होंने कहा, ऐसे राजनीतिक समारोह में हम ताली बजाने क्यों जाएं? पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने भी कहा है कि वे समारोह में नहीं जा रहे हैं.
श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य अयोध्या नहीं जाएंगे, लेकिन समारोह के खिलाफ नहीं
दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य महा सन्निधानम स्वामी भारती तीर्थ भी अयोध्या नहीं जा रहे हैं. हालांकि श्रृंगेरी मठ की तरफ से जारी पत्र में उन्होंने साफ किया है कि वे इस समारोह के विरोध में नहीं हैं. उन्होंने जनता को इस शुभ अवसर की शुभकामनाएं देते हुए अयोध्या में रामजी के दर्शन कर उनके कृपापात्र बनने के लिए कहा है.
वैष्णव संत मान रहे हैं समारोह को शास्त्र सम्मत
शैव संतों ने भले ही अधूरे मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा का विरोध किया है, लेकिन वैष्णव संतों ने इसे पूरी तरह शास्त्र सम्मत बताया है. उन्होंने कहा है कि राम लला की पूजा तो पहले से हो रही है. अब पुराने विग्रह को महज नए मंदिर में ले जाना है. इसके लिए मुहूर्त पूरी रह उचित है. वैष्णव संतों का कहना है कि रामलला अपने स्थायी आवास में जा रहे हैं और इस पर विवाद ठीक नहीं है.
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