रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होंगे आडवाणी और जोशी, जानिए कैसे बदला अचानक फैसला

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 19, 2023, 05:55 PM IST

Lalkrishna Adwani को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता देते VHP नेता.

Ram Mandir Pran Pratishtha: बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर बनाए जाने के आंदोलन का मुख्य चेहरा लालकृष्ण आडवाणी ही थे. उनकी रथयात्रा ने ही भाजपा को इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ दिया था.

डीएनए हिंदी: Ram Mandir Inauguration Updates- 'कसम राम की खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' इस नारे के साथ अपनी रथयात्रा से राम मंदिर का मुद्दा देश के घर-घर तक पहुंचाने वाले लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी अब 22 जनवरी को अयोध्या में दिखाई देंगे. राम मंदिर आंदोलन को ही भाजपा को देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाने वाला मुद्दा माना जाता है और आडवाणी व जोशी को इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाने वाला नेता. इसके बावजूद पहले इन दोनों नेताओं के अयोध्या में अगले महीने 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होने की बात सामने आई थी. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने कहा था कि दोनों की उम्र को देखते हुए उनसे इस समारोह में शामिल नहीं होने का आग्रह किया गया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है. लेकिन मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने दोनों नेताओं को समारोह में आने का न्योता दिया, जिसे दोनों ने स्वीकार कर लिया है.

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विहिप ने दी है ये जानकारी

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने आडवाणी और जोशी को न्योता दिए जाने की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी और आदरणीय डॉ मुरली मनोहर जोशी जी को अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आने का निमंत्रण दिया है. रामजी के आंदोलन के बारे में बात हुई है. दोनों वरिष्ठों ने कहा कि वह आने का पूरा प्रयास करेंगे. यह न्योता दोनों नेताओं के घर पहुंचकर दिया गया है.

आडवाणी की रथयात्रा ने बदल दी थी भाजपा की तकदीर

अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर बनाए जाने के लिए 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या मे कारसेवकों को जमा होने के लिए कहा गया था. इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर को गुजरात के सोमनाथ मंदिर से रामरथयात्रा की शुरुआत की. एक मिनी ट्रक को राम रथ की तरह का रूप दिया गया, जिस पर सवार होकर आडवाणी, जोशी समेत कई अन्य नेता 10,000 किलोमीटर की दूरी कई राज्यों में तय करते हुए अयोध्या पहुंचे थे. इस रथयात्रा से राम मंदिर आंदोलन के लिए जबरदस्त उत्साह जगा था और अयोध्या में लाखों कारसेवक जमा हो गए थे. इन कारसेवकों ने 6 दिसंबर, 1990 के दिन बाबरी मस्जिद ढहा दी थी. इससे उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को केंद्र की वीपी सिंह सरकार ने बर्खास्त कर दिया था. माना जाता है कि इस रथयात्रा और उसके बाद हुए घटनाक्रमों से आम जनता के मन में भाजपा के प्रति सहानुभूति की लहर जागी थी और बाकी दलों को राम मंदिर विरोधी बना दिया था. इसके चलते धीरे-धीरे एक के बाद एक राज्यों में फतेह करती हुई भाजपा आज केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत सरकार जैसी स्थिति तक पहुंच सकी है.

पहले कर दिया गया था आडवाणी-जोशी को आने से इंकार

इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं बुलाए जाने की खबर आई थी. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने सोमवार को खुद इसकी घोषणा की थी. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि दोनों नेताओं की उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उनसे महाभिषेक समारोह से दूर रहने का अनुरोध किया गया है, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है. लाल कृष्ण आडवाणी की उम्र 96 साल और मुरली मनोहर जोशी की उम्र 90 साल है. हालांकि चंपतराय के इस बयान के बाद से ही आडवाणी और जोशी को नहीं बुलाए जाने का विरोध शुरू हो गया था. 

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