Karnataka में भ्रष्टाचार पर सियासी रार, लिंगायत संत का दावा- मठों को देना पड़ता है 30% कमीशन

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 19, 2022, 08:41 AM IST

लिंगायत संत के बयान पर बढ़ा विवाद.

कर्नाटक के सीएम बासवराज बोम्मई ने कहा है कि उनकी सरकार आरोपों पर गंभीरता से विचार कर रही है.

डीएनए हिंदी: कर्नाटक (Karnataka) में भ्रष्टाचार पर नई बहस छिड़ गई है. एक लिंगायत संत (Lingayat Seer) ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक में सभी मठ सरकारी भ्रष्टाचार से प्रभावित हैं. मठों को स्वीकृत अनुदान पाने के लिए 30 फीसदी कमीशन देना पड़ता है. 

आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम बासवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने कहा है कि उनकी सरकार लिंगायत संत के आरोपों पर गंभीरता से विचार कर रही है. बीजेपी नेता एस ईश्वरप्पा के इस्तीफे के बाद यह आरोप सामने आया है.  12 अप्रैल को एक उडुपी के एक होटल के कमरे में ठेकेदार ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद विवाद भड़क गया.

Karnataka के कोलार में भी हुई करौली जैसी घटना, शोभा यात्रा पर पथराव के बाद इलाके में तनाव

ठेकेदार की आत्महत्या के बाद भड़का विवाद

ठेकेदार ने एक कथित WhatsApp संदेश में आरोप लगाया था कि उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया था. साल 2021 में बेलागवी जिले के हिंडाल्गा गांव में एक पब्लिक वर्क के लिए एस ईश्वरप्पा ने 40 प्रतिशत कमीशन मांगा था जिसकी मांग पूरा करने में वह असफल रहा. प्रशासन की वजह से तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली. 

बालेहोसुर मठ के महंत डिंगलेश्वर स्वामी ने कहा, 'अगर एक संत के लिए अनुदान स्वीकृत होता है तो 30 फीसदी कटौती के बाद मठ तक पहुंचता है. यह सत्य है. अधिकारी साफ तौर पर कहते हैं कि जब तक कमीशन नहीं लिया जाएगा तब तक परियोजना की शुरुआत नहीं होगी.'

30 फीसदी कमीशन ले रहे हैं अधिकारी

संत ने आरोप लगाया है कि कोई भी सरकारी काम ठीक से नहीं हो रहा है. 30 प्रतिशत कमीशन देने के लिए लोगों को मजबूर होना पड़ रहा है.  कई ठेकेदारों ने अपना काम बंद कर दिया है. केवल बातचीत हो रही है लेकिन कोई विकास नहीं हो रहा है. कई विधायक काम शुरू करने से पहले दर तय करते हैं.

Communal Violence: सांप्रदायिक तनाव की जद में आए 3 और राज्य, 140 से ज्यादा लोग गिरफ्तार, क्या थी हिंसा की वजह?

कर्नाटक में संत के आरोप के बाद सियासत भड़क गई है. कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने आरोपों पर सरकार को घेरते हुए कहा है कि यह शर्म की बात है कि बीजेपी जो खुद को धर्म का रक्षक कहती है, मठों और मंदिरों के लिए स्वीकृत अनुदान में 30 प्रतिशत कमीशन खा रही है.

गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.

कर्नाटक भ्रष्टाचार लिंगायत संत कमीशन बासवराज बोम्मई