डीएनए हिंदी: रेलवे भर्ती बोर्ड की गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणी (RRB-NTPC) परीक्षा 2021 में कथित अनियमितताओं के विरोध में ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (AISA) समेत कई छात्र संगठनों ने बिहार (Bihar) में शुक्रवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है. बिहार बंद का महागठबंधन (Mahagathbandhan) में शामिल सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया है.
बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस (Congress), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने बृहस्पतिवार को संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर प्रदर्शनकारी परीक्षार्थियों को समर्थन दिया है.
महागठबंधन ने अपने बयान में कहा, 'बिहार में देश में सबसे ज्यादा युवा हैं और यहां बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है. केंद्र और बिहार सरकार द्वारा छात्रों को ठगा जा रहा है. सरकारें उनके लिए नौकरियों का वादा करती रहती है लेकिन जब वे नौकरी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरते हैं तो नीतीश कुमार सरकार (Nitish Kumar Government) उन पर लाठियां बरसाती है.'
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क्या है महागठबंधन की मांग?
महागठबंधन के नेताओं ने आरजेडी के प्रदेश मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और आरोप लगाया कि केंद्र की एनडीए सरकार (NDA Government) को उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों की ज्यादा चिंता है, न कि प्रदर्शनकारी छात्रों के भविष्य की. उन्होंने कहा कि महागठबंधन के सभी दलों ने 28 जनवरी को छात्र संघ द्वारा आहूत बिहार बंद का समर्थन करने का फैसला लिया है. हम यह भी मांग करते हैं कि राज्य पुलिस द्वारा छात्रों या कोचिंग संस्थानों के खिलाफ दर्ज सभी मामले तुरंत वापस लिए जाने चाहिए.
क्यों रेल मंत्रालय के फैसले को साजिश बता रहा है विपक्ष?
आइसा के महासचिव और विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि RRB-NTPC परीक्षा में अनियमितताओं की जांच के लिए रेल मंत्रालय द्वारा गठित समिति उत्तरप्रदेश में चुनाव तक मामले को स्थगित करने की एक साजिश है. उन्होंने दावा किया कि यह केंद्र सरकार का धोखा है. सौरभ ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बेरोजगार युवकों को नौकरी नहीं देना चाहती.
क्यों गिरी कोचिंग संचालकों पर गाज?
पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह एवं वरीय पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कोचिंग संचालकों, प्रतिनिधियों के साथ सीधा संवाद स्थापित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गुरुवार को अहम बैठक की. गौरतलब है कि 24 जनवरी को राजेंद्रनगर ट्रैक को जाम करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 4 अभ्यर्थियों को पुलिस ने हिरासत में लिया था. उन 4 अभ्यर्थियों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि उन्हें कोचिंग संचालकों, प्रतिनिधियों ने प्रदर्शन के लिए गाइड किया है. छात्रों ने उनका नाम भी बताया है.
पुलिस ने सोशल मीडिया से वीडियो फुटेज भी प्राप्त किए गए हैं. इस प्रकरण में 6 कोचिंग संचालकों, प्रतिनिधियों के विरुद्ध पत्रकार नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है. पूछताछ के दौरान हिरासत में लिए गए अभ्यर्थियों के द्वारा जिन व्यक्तियों का नाम लिया गया और प्राथमिकी दर्ज की गई उनमें खान सर, एसके झा सर, नवीन सर, अमरनाथ सर, गगन प्रताप सर और गोपाल वर्मा सर शामिल हैं.
क्या है प्रशासन का रुख?
जिला प्रशासन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक जिन व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है उन व्यक्तियों को नोटिस भेजा जाएगा और उन्हें तय तारीख पर जवाब देना होगा. जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी प्रकार की पूर्वाग्रह आधारित अथवा बदले की भावना से कार्य नहीं किए जाएंगे बल्कि पूरी पारदर्शिता और साक्ष्य के आधार पर ही विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.
प्रशासन ने कहा है कि गैरकानूनी और गैर जिम्मेदाराना काम करने वाले और प्रदर्शनकारियों के समूह को उग्र आंदोलन के लिए उकासने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध विधि सम्मत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को आश्वासन दिया कि ग्रुप-डी की दो की बजाय एक परीक्षा होगी और एनटीपीसी की परीक्षा के 3.5 लाख अतिरिक्त परिणाम 'वन कैंडीडेट-वन रिजल्ट' के आधार पर घोषित किये जाएंगे.
क्या है सत्ताधारी दल के सहयोगी दल का रिएक्शन?
सुशील कुमार मोदी की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार रेलमंत्री ने उनको भरोसा दिलाया कि सरकार छात्रों से सहमत है और उनकी मांग के अनुरूप ही निर्णय जल्द किया जाएगा. बिहार में सत्ताधारी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा, संविधान में हिंसा और तोडफोड़ का अधिकार किसी को नहीं. वैसे अब वक्त आ गया है जब सरकार रोजगार के विषय में बात करे, नहीं तो हालात इससे भी भयानक हो सकते हैं.
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