धर्म संसद की बातों पर भड़के RSS चीफ मोहन भागवत, बोले- देश के संविधान में भी है हिंदुत्व

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 07, 2022, 10:32 AM IST

मोहन भागवत ने कहा है कि वो धर्म संसद में दिए गए बयानों से पूरी तरह असहमत हैं और हिंदुत्व का मतलब किसी दूसरे को नुकसान पहुंचाना नहीं हो सकता है.

डीएनए हिंदी: धर्म संसद के बयानों के कारण लगातार हिंदू संतों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस मुद्दे पर विवादित बयान देने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. वहीं अब इस मामले में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अपनी सख्त प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस तरह के बयानों पर असहमति जताते हुए कहा कि ऐसे लोग हिंदुत्व का पालन करने वाले नहीं हो सकते हैं क्योंकि हिंदुत्व का मतलब  किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं हो सकता है.

विवादित बयानों पर भड़के भागवत

दरअसल, नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान धर्म संसद के मुद्दे पर बात करते हुए मोहन भागवत ने कहा, “धर्म संसद में दिए गए बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे. अगर मैं कभी कुछ गुस्से में कहता हूं तो यह हिंदुत्व नहीं है.” वीर सावरकर के हिंदुत्व पर उपदेशों को याद दिलाते हुए मोहन भागवत ने कहा, “यहां तक कि वीर सावरकर ने कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में बोलेगा.”

संघ की हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र ही है. उन्होंने कहा, “आप इसे मानें या न मानें, यह हिंदू राष्ट्र है. संघ लोगों को विभाजित नहीं करता बल्कि मतभेदों को दूर करता है और हम इस हिंदुत्व का पालन करते हैं.”

घर वापसी की पहल को पूर्व राष्ट्रपति ने सराहा

साल 2018 में पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में गए थे. इससे पहले उन्हें आमंत्रित करने का किस्सा सुनाते हुए मोहन भागवत ने कहा कि वो घर वापसी के मुद्दे पर सवालों के जवाब तैयार करके गए थे. उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने उनकी घर वापसी की पहल का स्वागत किया और कहा कि यदि संघ ने यह पहल नहीं की होती तो 30 फीसदी लोग समुदाय से ही कट जाते. 

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संविधान में भी है हिंदुत्व

इसके अलावा अपने संबोधन में मोहन भागवत ने संविधान में भी हिंदुत्व के होने की बात कही है. मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय संविधान में हिंदुत्व दिखाई देता है. हिंदुत्व भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों की 5,000 साल पुरानी परंपरा से निकला है. उन्होंने कहा कि सर्व समावेशी और सर्वव्यापी सत्य जिसे हम हिंदुत्व कहते हैं यह हमारी राष्ट्रीय पहचान है. हम धर्मनिरपेक्षता के बारे में बात करते हैं लेकिन यह हमारे देश में वर्षों से और हमारे संविधान बनाने से पहले मौजूद है और यह हिंदुत्व के कारण है.

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