डीएनए हिंदी: रूस यूक्रेन संकट के बीच रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से एयर इंडिया की दूसरी फ्लाइट 250 स्टूडेंट्स को लेकर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची. प्लेन जैसे ही लैंड हुआ केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्टूडेंट्स की सुरक्षित वापसी का स्वागत किया.
उन्होंने इस अवसर पर स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा, हमें पता है कि आप एक मुश्किल दौर से गुजरकर आए हैं लेकिन सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 130 करोड़ भारतीय हर कदम पर आपके साथ हैं. उन्होंने कहा, हम जब तक चैन की सांस नहीं लेंगे तब तक हर भारतीय अपनी जमीन पर सुरक्षित कदम नहीं रख लेता.
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अपने सभी दोस्तों और सहपाठियों को यह मैसेज जरूर दें कि हम उनके साथ हैं और गारंटी देते हैं कि हम उन्हें सुरक्षित वापस लाएंगे. प्रधानमंत्री यूक्रेन के राष्ट्रपति के संपर्क में हैं. बातचीत लगातार हो रही है. इसके साथ ही रूस की सरकार से भी बातचीत जारी है. हम एक एक भारतीय को मातृभूमि में लाकर चैन की सांस लेंगे. सिंधिया ने एयर इंडिया के स्टाफ को भी उनकी मेहनत के लिए धन्यवाद दिया.
रोमानिया से पहली फ्लाइट 219 भारतीय छात्रों को लेकर शनिवार शाम मुंबई पहुंची थी. वहीं 'ऑपरेशन गंगा' के तहत 240 भारतीय नागरिकों के साथ तीसरी उड़ान ने हंगरी के बुडापेस्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भरी है.
छात्रों ने बताई आपबीती
यूक्रेन से लौटे एक छात्र का कहना है कि छात्र दहशत में हैं लेकिन यूक्रेन के अन्य क्षेत्रों की तुलना में रोमानिया सीमा के पास जहां हम रह रहे थे वहां स्थिति काफी बेहतर थी. एक अन्य छात्र ने कहा, यूक्रेन में कई जगहों पर हालात खराब हैं. नागरिकों ने अपने देश को बचाने के लिए हथियार उठा लिए हैं. युद्ध प्रभावित यूक्रेन से अब तक कुल 469 भारतीय नागरिकों को निकाला गया है जिनमें से 200 रविवार सुबह दिल्ली और 219 शनिवार शाम को मुंबई पहुंचे.
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जारी की गई एडवाइजरी
भारतीय नागरिकों को शनिवार को एक एडवाइजरी में दूतावास ने जोर देकर कहा कि विभिन्न सीमा चौकियों पर स्थिति संवेदनशील है. हमारे नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए पड़ोसी देशों में दूतावासों के साथ लगातार काम कर रहे हैं.
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इसमें कहा गया, यूक्रेन में सभी भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे सीमा चौकियों और भारत के दूतावास, कीव के आपातकालीन नंबरों पर भारत सरकार के अधिकारियों के साथ पूर्व समन्वय के बिना किसी भी सीमा चौकी पर न जाएं. दूतावास को उन भारतीय नागरिकों की मदद करना मुश्किल हो रहा है जो बिना किसी पूर्व सूचना के सीमा चौकियों पर पहुंच जाते हैं.