Russia-Ukraine War: भारत ने UNSC में उठाया सुमी में फंसे छात्रों का मुद्दा, कहा-दोनों देश बनाएं सुरक्षित कॉरिडोर

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 08, 2022, 02:55 PM IST

भारत ने कहा है कि बार-बार आग्रह के बावजूद अभी सुमी फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए दोनों देशों ने कोई खास मदद नहीं की है.

डीएनए हिंदी: भारत रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच यूक्रेन से अपने 20,000 से अधिक नागरिकों को सुरक्षित रूप से वापस लाने में कामयाब रहा है.  वही इस स्थिति में भारत ने चिंता जताई है कि रूस और यूक्रेन दोनों से बार-बार आग्रह करने के बावजूद, पूर्वी यूक्रेन शहर सुमी में फंसे भारतीय छात्रों (Indian Students) के लिए सुरक्षित नहीं निकाला जा सका है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूक्रेन में मानवीय स्थिति पर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में कहा कि दोनों ही तुरंत टकाराव खत्म करें. 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा है कि भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित लाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा है कि सुमी शहर में हजारों छात्र फंसे हैं. इसके बावजूद दोनों देशों ने छात्रों की वापसी को लेकर कोई गलियारा नहीं बनाया है. उन्होंने कहा, “हमने अन्य देशों के नागरिकों की भी सहायता की है जिन्होंने हमसे संपर्क किया. अपने-अपने देशों में लौटने के लिए और हम आने वाले दिनों में ऐसा करने के लिए तैयार रहेंगे."

भारतीय राजदूत ने परिषद को बताया कि भारतीय नागरिकों को घर लाने के लिए 80 से अधिक निकासी उड़ानें लगभग प्रतिदिन चल रही है. उन्होंने कहा, "हम यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों के अधिकारियों द्वारा उनकी वापसी को सुविधाजनक बनाने में प्रदान की गई सहायता की सराहना करते हैं." गौरतलब है कि सूमी में लगभग 700 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं जहां पिछले कुछ दिनों से रूसी और यूक्रेनी सैनिकों के बीच भयंकर लड़ाई हो रही है.

भारत यूक्रेन के सुमी शहर से अपने नागरिकों को निकालने के प्रयास कर रहा है लेकिन भारी गोलाबारी और हवाई हमलों के कारण बहुत कम सफलता मिली है. युद्ध प्रभावित यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार ने 'ऑपरेशन गंगा' शुरू की है, जिसके तहत हजारों फंसे हुए लोगों और छात्रों को निकाला जा रहा हैं.

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इसके साथ ही तिरुमूर्ति ने रेखांकित किया कि यह महत्वपूर्ण है कि मानवीय कार्रवाई हमेशा मानवीय सहायता के सिद्धांतों-मानवता, तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता द्वारा निर्देशित होती है. उन्होंने कहा, 'इनका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. 

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