डीएनए हिंदी: Rajasthan News- राजस्थान में कांग्रेस के अंदर चल रही वर्चस्व की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने गुरुवार को अजमेर से अपनी 'जन संघर्ष पदयात्रा' शुरू कर दी. हालांकि उन्होंने इसे 'भ्रष्टाचार के विरोध' का नाम दिया है, लेकिन एक्सपर्ट्स इसे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बढ़ाने की कोशिश मान रहे हैं. इससे राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर पार्टी के सामने बड़ा संकट खड़ा होने के आसार बनते दिख रहे हैं. इससे पहले भी सचिन पायलट ने जयपुर में 11 अप्रैल को भी एक दिन की भूख हड़ताल अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ की थी. हालांकि उन्होंने तब भी कहा था कि वे भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए यह भूख हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के अंदर इसे अपनी ही सरकार के खिलाफ किया कारनामा माना गया था.
पांच दिन चलेगी सचिन की यात्रा
सचिन पायलट ने गुरुवार दोपहर में अजमेर से यात्रा शुरू की. वे करीब 5 दिन तक यात्रा निकालेंगे, जो अजमेर से शुरू होकर करीब जयपुर तक करीब 125 किलोमीटर का सफर तय करेगी. गुरुवार शाम को यात्रा किशनगढ़ के तोलामल गांव में रात्रि विश्राम करेगी.
'अपनी आवाज उठाने और जनता की आवाज' बनने के लिए यात्रा
सचिन पायलट ने यात्रा की शुरुआत से पहले अजमेर की जयपुर रोड पर अशोक उद्यान के पास एक जनसभा की. इसमें उन्होंने यात्रा को 'भ्रष्टाचार के विरोध में' बताया. साथ ही कहा कि 'अपनी आवाज उठाने, आपकी आवाज सुनने और जनता की आवाज बनने के लिए' यह यात्रा निकाली जा रही है. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि 'अपनी आवाज उठाने' से उनका क्या अर्थ है, लेकिन राजनीतिक पंडित इसे साफतौर पर कांग्रेस आलाकमान के लिए इशारा मान रहे हैं. यात्रा को अशोक गहलोत के खिलाफ बताए जाने पर सचिन ने हालांकि स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, यात्रा किसी के विरोध में नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ है. अपनी आवाज उठाने के लिए, आपकी आवाज सुनने के लिए, जनता की आवाज बनने के लिए हम लोग यह यात्रा निकाल रहे हैं. उन्होंने कहा, जन संघर्ष यात्रा नौजवानों के संरक्षण के लिए है. हमारे बच्चे-बच्चियां पढ़ लिखकर उन पदों पर बैठें, जहां से सब नीतियां बनती है.
अचानक यात्रा की घोषणा से उठ रहे सवाल
पायलट की यात्रा के समय को लेकर सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को अचानक इस यात्रा की घोषणा की. उन्होंने तब भी इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ पदयात्रा बताया. पायलट ने कहा था कि इस घोषणा के बाद लोगों ने उनसे कहा कि आप इतनी कड़ी गर्मी में पदयात्रा करना चाहते हैं. मैंने उनसे कहा है कि राजनीति आग का दरिया है, जिसे तैर कर पार करना पड़ेगा. अपने दिवंगत पिता राजेश पायलट व मां रमा पायलट के राजनीतिक जीवन का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा, हमारी निष्ठा पर, हमारी ईमानदारी पर... हमारे विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते.
इस साल के अंत में होने हैं राजस्थान में चुनाव
राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. साल 2018 में कांग्रेस की सरकार के गठन के समय सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन उनकी जगह पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही आलाकमान ने मौका दिया था. उस समय दोनों के बीच की रार घटाने के लिए सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया था, लेकिन यह पद सचिन को बीच में ही छोड़ना पड़ा था. इसके बाद उनके भाजपा में जाने की भी चर्चा उड़ी थी. कई दिन तक उनके समर्थक विधायकों के गुरुग्राम स्थित एक फाइव स्टार होटल में रहने के बाद यह मामला सुलझ गया था. हालांकि अंदरखाने ये बात भी उड़ी थी कि भाजपा के साथ सचिन का मुख्यमंत्री पद को लेकर सौदा नहीं पटा है, जिससे वे कांग्रेस छोड़कर नहीं जा रहे हैं. अब विधानसभा चुनाव से पहले उनके तीखे तेवर देखकर फिर से उनके भाजपा के साथ जाने की अफवाहें उड़ रही हैं.
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