Varanasi Temple Sai Baba Row: वाराणसी के मंदिरों से हटाई जा रहीं साईं बाबा की मूर्ति, क्यों किया जा रहा ऐसा, पढ़ें पूरी बात

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Oct 01, 2024, 06:15 PM IST

Varanasi के मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को सफेद कपड़े में लपेटने के बाद हटा दिया गया है.

Varanasi Temple Sai Baba Row: वाराणसी के 10 मंदिरों से सनातन रक्षक दल नाम के संगठन ने साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी हैं. इसे लेकर हंगामा शुरू हो गया है. साथ ही साईं बाबा की पूजा पर फिर से विवाद उठ गया है. आइए आपको पूरे के बारे में बताते हैं.

Varanasi Temple Sai Baba Row: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शिरडी वाले साईं बाबा की मूर्तियों को लेकर विवाद शुरू हो गया है. सनातन रक्षक दल नाम के संगठन ने मंगलवार को वाराणसी के 10 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी हैं. इनमें काशी का मशहूर बड़ा गणेश मंदिर और पुरुषोत्तम मंदिर भी शामिल है. इसके चलते हंगामा मच गया है. सनातन रक्षक दल का कहना है कि हम साईं विरोधी नहीं हैं, लेकिन हिंदू मंदिर में किसी इंसान की मूर्ति की पूजा नहीं की जा सकती है. इसलिए मंदिर प्रबंधन से अनुमति के बाद ही साईं मूर्ति को हटा रहे हैं. साईं बाबा की मूर्तियों को मंदिर में पूजने को लेकर इससे पहले भी कई बार विवाद हो चुका है. शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती न भी इसे लेकर अभियान चलाया था, जबकि पिछले दिनों बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री ने भी साईं पूजा का विरोध किया था.

क्या किया है सनातन रक्षक दल ने

सनातन रक्षक दल ने वाराणसी के मदिरों में स्थापित साईं मूर्तियों को कपड़े में लपेटकर हटाना शुरू किया है. सबसे पहले बड़ा गणेश मंदिर से साईं मूर्ति हटाई (Sai Baba Murti Removed from Mandir) गई है. इसके बाद बाकी मंदिरों से भी मूर्तियां हटानी शुरू कर दिया गया है. यह अभियान अगले कई दिन जारी रहने का ऐलान किया गया है. 

क्या है तर्क मंदिर से मूर्तियां हटाने के पीछे

सनातन रक्षक दल का कहना है कि हिंदू मंदिर में केवल शास्त्रों के हिसाब से पूजा की जा सकती है. शास्त्रों में मंदिर में इंसानी मूर्ति लगाकर पूजा करना वर्जित बताया गया है. इसलिए हम मंदिर प्रबंधनों से बात कर पूरे सम्मान के साथ साईं मूर्तियों को वहां से दूसरी जगह ले जा रहे हैं. हम साईं विरोधी नहीं हैं. बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि मैं साईं बाबा का विरोधी नहीं हूं. उन्हें महात्मा के रूप में पूजने पर ऐतराज नहीं है. लेकिन उन्हें भगवान के तौर पर नहीं पूजा जा सकता है.

हिंदू या मुस्लिम, कौन थे शिरडी वाले साईं बाबा

महाराष्ट्र के शिरडी में रहे साईं बाबा का वहां बड़ा मंदिर है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं और करोड़ों रुपये का चढ़ावा चढ़ता है. इससे पहले भी शिरडी साईं बाबा को हिंदू भगवान की तरह पूजने पर विवाद हो चुका है. शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती भी कह चुके हैं कि साईं बाबा को भगवान की तरह नहीं पूजा जाना चाहिए. साईं बाबा के हिंदू या मुस्लिम होने को लेकर भी बहुत विवाद रहा है. उनका विरोध करने वाले उन्हें मुस्लिम और उनका नाम चांद मियां बताते हैं, लेकिन इसे लेकर कहीं कोई लिखित दस्तावेज नहीं है. साईं बाबा शिरडी में किसी और स्थान से आए थे, जहां वे पुरानी मस्जिद में रहे थे. इस मस्जिद को वे द्वारका माई कहकर पुकारते थे. उनका वेश मुस्लिम सूफी दरवेश जैसा था, लेकिन बात वे हिंदू देवी-देवताओं की करते थे. इस कारण उनके धर्म को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है. उनके श्रद्धालुओं में हिंदू और मुस्लिम, दोनों ही धर्म के लोग शामिल थे. साथ ही वे जात-पांत के भेदभाव को भी नहीं मानते थे. 

अलग-अलग भगवान का अवतार मानकर पूजते हैं लोग

साईं बाबा के भक्त उनका जन्म 28 सितंबर, 1836 को होने की बात मानते हैं. दावा है कि ये तिथि खुद साईं बाबा ने एक भक्त के बहुत पूछने पर बताई थी. उन्हें एक फकीर माना जाता है, लेकिन हिंदू भक्त साईं बाबा को भगवान राम, भगवान शिव, भगवान दत्तात्रेय आदि का अवतार मानते हैं. इसी कारण उनकी मूर्तियां लोगों ने मंदिरों में स्थापित की हैं. इसे लेकर ही विवाद चल रहा है. 

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