19 साल के शूटर ने कैसे की कुख्यात गैंगस्टर संजीव जीवा की हत्या, CM योगी ने जांच के लिए बनाई SIT

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 08, 2023, 07:32 AM IST

Sanjeev Jeeva Murder Case 

Sanjeev Jeeva Murder Case: गैंगस्टर संजीव जीवा हत्याकांड ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं. इससे पहले पुलिस कस्टडी में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की गई थी.

डीएनए हिंदी: गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के करीबी रहे माफिया संजीव जीवा की लखनऊ के एक कोर्ट परिसर में हत्या से हड़कंप मच गया है जिसने यूपी के पुलिसिया काम काज पर सवाल खड़े कर दिए हैं. लखनऊ की सिविल कोर्ट में मौजूद माफिया संजीव जीवा की हत्या में 19 साल के शूटर का नाम सामने आया है. वकील बनकर आए हमलावर ने संजीव जीवा पर दनादन गोलियां दागीं. इस हमले में संजीव जीवा मारा गया. ताज्जुब की बात यह रही कि पुलिस पूरा कांड मूक दर्शक बनी देखती ही रही.

बता दें कि इस संजीव जीवा हत्याकांड की कई तस्वीरें भी सामने आईं है. ये हमलावर कोर्ट परिसर में हथियार लेकर आया और फिर पहले एक गोली मारी फिर कोर्टरूम में भागे और गेट पर गोली मारी. ये सारी गोलियां संजीव जीवा को लगी. हमलावर ने 6 राउंड फायरिंग की जिसमें संजीव की मौके पर ही मौत हो गई. 

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जांच के लिए बनी SIT

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने संजीव जीवा हत्याकांड की जांच के लिए तीन सदस्यों की SIT बना दी है, जिसकी रिपोर्ट 7 दिन में पेश करनी होगी. बता दें कि जिस लखनऊ में यह हत्याकांड हुआ है, वो यूपी की सत्ता का केंद्र माना जाता है. प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारी तक यहां से ही पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था मजबूत रखने का दावा करते हैं लेकिन संजीव जीवा की हत्या ने इन सारे दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. 

किसने की संजीव जीवा की हत्या

सवाल यह भी है कि आखिर किसने संजीव जीवा पर कोर्ट परिसर में पुलिस के सामने गोलियां दागकर उसकी हत्या की है? इसको लेकर सामने आया कि संजीव जीवा पर गोलियां चलाने वाले शूटर का नाम विजय यादव है जो कि महज 19 साल का है. वह कोर्ट में वकील बनकर आया था और अचानक उसने संजीव पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया. 

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कौन था संजीव जीवा? 

बता दें कि एक समय उत्तर प्रदेश की अपराध की दुनिया का संजीव बहुत बड़ा नाम था. संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा 90 के दशक तक मुजफ्फरनगर में एक क्लीनिक पर कंपाउंडर का काम करता था. कंपाउंडर के नाम पर वो वहां सिर्फ दवा की पुड़िया बनाता था. संजीव जीवा का पहली बार बड़ा नाम आया जब इसने नब्बे के दशक में ही कोलकाता के व्यापारी के बेटे को अगवा करके दो करोड़ फिरौती मांगी. इसके बाद 1997 में संजीव जीवा बीजेपी के बड़े नेता और मायावती को गेस्ट हाउस कांड में बचाने वाले ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में शामिल रहा था. 

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संजीव जीवा को साल 2003 में ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई. उससे पहले साल 2000 में माफिया मुन्ना बजरंगी के जरिए संजीव जीवा मुख्तार अंसारी का भी करीबी बन गया था. अपराध की दुनिया का बड़ा नाम रहे संजीव जीवा को विजय यादव नाम के एक 19 साल के शूटर ने मार दिया है जिसके चलते पुलिस और यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल ख़ड़े हो रहे हैं.

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