Sarojini Naidu: सरोजिनी नायडू कैसे बनीं द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया? जानिए दिलचस्प फैक्ट्स

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 02, 2023, 08:56 AM IST

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Sarojini Naidu Jayanti: 'भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से पहली मुलाकात साल 1914 में लंदन में हुई.

डीएनए हिंदी: आज 'द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया' के नाम से पहचानी जाने वाली सरोजिनी नायडू का 143वां जन्मदिन है. सरोजिनी नायडू का जन्म साल 1879 में हैदराबाद में हुआ था. उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक वैज्ञानिक थे.

1914 में हुई गांधी जी से मुलाकात
सरोजिनी नायडू ने छोटी सी उम्र में ही अंग्रेजी कवियों की कविताओं का अध्ययन कर लिया था. 'भारत कोकिला' से प्रसिद्ध सरोजिनी की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से पहली मुलाकात साल 1914 में लंदन में हुई. इस मुलाकात में सरोजिनी गांधी जी से बहुत प्रभावित हुईं. इसके बाद उन्होंने साउथ अफ्रीका में गांधी जी की सहयोगी के रूप में काम किया.

1925 में बनीं महिला कांग्रेस की अध्यक्ष
सरोजिनी (Sarojini Naidu) गोपालकृष्ण गोखले को अपना 'राजनीतिक पिता' मानती थीं. सरोजिनी ने इसके बाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया. वो कांग्रेस से जुड़ीं और साल 1925 में उन्हें भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनाया गया. बाद में देश आजाद होने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल नियुक्त किया गया.

आइए आपको बताते हैं सरोजिनी नायडू के जीवन से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण बातें

  1. 12 साल की उम्र में की साहित्यिक जीवन की शुरुआत - एक विलक्षण बालिका सरोजिनी नायडू ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत महज 12 साल की उम्र में की थी. उन्होंने अपने नाटक 'माहेर मुनीर' से पहचान हासिल की.
  2. 16 साल की उम्र में हैदराबाद के निजाम ने दी स्कॉलरशिप- 16 साल की उम्र में सरोजिनी को हैदराबाद के निज़ाम से छात्रवृत्ति मिली. इसके बाद वह लंदन किंग्स कॉलेज में पढ़ने चली गईं.
  3. कैसर-ए-हिंद सम्मान लौटाया- सरोजिनी नायडू को भारत में प्लेग महामारी के दौरान किए गए काम के लिए अंग्रेजी सरकार ने  'कैसर-ए-हिंद' पदक से सम्मानित किया था. हालांकि, जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने विरोध में यह सम्मान लौटा दिया.
  4. आजादी के 2 साल बाद हुआ निधन- सरोजिनी नायडू का निधन आजादी के दो साल बाद 2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुआ.  सरोजिनी अपने आखिरी समय में अपने कार्यालय में काम कर रही थीं.
  5. निधन के बाद बेटी ने प्रकाशित की कविताएं- सरोजिनी नायडू के निधन के करीब 12 साल बाद साल 1961 में उनकी बेटी बद्मा ने ने कविताओं का एक संग्रह प्रकाशित किया. इस संग्रह का नाम था, 'द फेदर ऑफ द डॉन'.

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