डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को 300 करोड़ रुपये की रिश्वत के कथित रिलायंस जनरल इंश्योरेंस घोटाले में सीबीआई नोटिस मिला है. सीबीआई ने उन्हें 27 और 28 अप्रैल को इस मामले में पूछताछ के लिए पेश होने का मौखिक आदेश दिया है. सीबीआई ने इस मामले में दूसरी बार सत्यपाल मलिक को पूछताछ के लिए बुलाया है. इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी उन्हें पूछताछ के लिए आने को कहा गया था. पुलवामा हमले पर सत्यपाल मलिक के खुलासों के तत्काल बाद उन्हें सीबीआई के तलब करने को लेकर कांग्रेस ने तीखा रिएक्शन दिया है. कांग्रेस ने कहा है कि ये तो होना ही था.
मलिक ने दी है नोटिस की जानकारी, सीबीआई है चुप
सत्यपाल मलिक ने खुद ही सीबीआई से नोटिस मिलने की जानकारी दी है. उन्होंने कहा, सीबीआई ने मुझे अपने दिल्ली ऑफिस में पेश होने के लिए कहा है. वे जम्मू-कश्मीर में इंश्योरेंस घोटाले के सिलसिले में मुझसे कुछ स्पष्टीकरण चाहते हैं. उन्होंने मुझे 27 और 28 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है. हालांकि सीबीआई इस नोटिस को लेकर चुप है. सीबीआई की तरफ से मलिक के दावे पर कोई रिएक्शन नहीं दिया गया है.
कांग्रेस ने ट्वीट में कसा मोदी सरकार पर तंज
कांग्रेस ने सत्यपाल मलिक के सीबीआई की तरफ से पूछताछ का बुलावा मिलने की जानकारी देने के बाद मोदी सरकार पर तंज कसा है. कांग्रेस ने ट्वीट में लिखा, आख़िरकार PM मोदी से रहा न गया. सत्यपाल मलिक ने देश के सामने उनकी कलई खोल दी. अब CBI ने मलिक जी को बुलाया है. ये तो होना ही था.
बता दें कि सत्यपाल मलिक ने कुछ दिन पहले साल 2019 के पुलवामा अटैक को लेकर कुछ खुलासे किए थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती आतंकी हमले के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि मेरे बार-बार कहने पर भी जवानों के लिए हवाई जहाज नहीं दिया गया. साथ ही उन्होंने हमले के बाद पीएम मोदी की तरफ से खुद को धमकाकर चुप रहने के लिए कहे जाने का भी आरोप लगाया था. इन्हीं आरोपों के चलते कांग्रेस ने यह तंज कसा है.
क्या है रिलायंस इंश्योरेंस रिश्वत केस
इस रिश्वत केस की जानकारी खुद सत्यपाल मलिक ने ही सबको दी थी. मलिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद से हटाकर मेघालय का राज्यपाल बनाए जाने के बाद इस रिश्वतखोरी का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि साल 2018 में जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनने के बाद उनके पास 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच दो फाइलें मंजूरी के लिए आई थीं. इन फाइलों को मंजूर करने के लिए मुझे 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. इनमें से एक फाइल अंबानी की और दूसरी फाइल महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली PDP-BJP गठबंधन सरकार में मंत्री रहे और पीएम मोदी के करीबी व्यक्ति की थी. यह व्यक्ति RSS से जुड़े हुए हैं. मलिक के मुताबिक, दोनों विभागों के सचिवों ने इन फाइलों को घोटाला बताया तो मैंने इन्हें रद्द कर दिया था. हालांकि सचिवों ने मुझे यह बताया था कि हर फाइल को मंजूरी देने पर मुझे 150 करोड़ रुपये मिलेंगे.
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