डीएनए हिंदी: दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने डिजिटल एजुकेशन में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए द्वारका सेक्टर 3 के प्राइमरी स्कूल को पूरी तरह डिजिटल बना दिया है. इस स्कूल में डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए अब बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. टेबलेट, डिजिटल स्क्रीन, माइक समेत इस स्कूल में बच्चों के लिए कई एडवांस ओर नई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.
दिल्ली में अगले चंद महीनों में होने वाले नगर निगम चुनावों से पहले एसडीएमसी (SDMC) के द्वारा लगातार ना सिर्फ बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जा रही हैं बल्कि उद्घाटन भी किए जा रहे हैं. द्वारका सेक्टर 3 में अपने पहले प्राइमरी स्कूल को पूरी तरीके से डिजिटल बनाना उसी सिलसिले में अगला कदम है.
डिजिटल इक्विपमेंट्स
दरसअल SDMC (दक्षिणी दिल्ली नगर निगम) के अंतर्गत नजफगढ़ जोन में आने वाला यह पहला ऐसा स्कूल होगा जिसमें बच्चों को पूरी तरह से डिजिटल टेक्नोलॉजी की सहायता से पढ़ाया जाएगा. एसडीएमसी ने इसके लिए द्वारका सेक्टर 3 के स्कूल में सभी प्रकार के व्यवस्था की है. बच्चों को टेबलेट के माध्यम से शिक्षित करने के लिए ना सिर्फ टैब उपलब्ध कराए गए हैं बल्कि एलइडी स्क्रीन और अब अन्य उपकरणों के साथ पूरे स्कूल को वाईफाई से भी लैस किया गया है. कोविड के बाद अभी दिल्ली के प्राइमरी स्कूल्स नही खुले हैं. ऐसे में बच्चे ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार ऑफलाइन मोड में पढ़ाई शुरू करने के बाद भी इस स्कूल में इन डिजिटल उपकरणों से पढ़ाया जाता रहेगा.
पढ़ाई को आसान बनाने की मुहिम
निगम के इस स्कूल में क्लास रूम में बच्चों के लिए टेबलेट, एलईडी (LED), एडवांस पोडियम, इंटरनेट (Internet) के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाएगा. इसके अलावा क्लास रूम में स्मार्ट टीवी, माइक चार्जिंग प्वाइंट आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं. निगम के द्वारा विद्यालय के अंदर शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों के लिए सभी टेबलेट्स में 16 E कंटेंट बनाकर अपलोड किया गया है. इससे पढ़ाई को रोचक और आसान बनाया जाएगा. इस पूरे अभियान के तहत निगम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए डिजिटल इंडिया मिशन को भी आगे बढ़ाने की कोशिश में है.
हालांकि दिल्ली में फ़िलहाल प्राइमरी स्कूल नहीं खुले हैं पर स्कूल खुलने से पहले ही प्राइमरी स्कूल के बच्चों को SDMC ने एक डिजिटल तोहफा दे दिया है. इसे SDMC की तरफ से बच्चों के लिए एक अच्छे पहल के तौर पर देखा जा रहा है. कोरोना के मामले कम होते ही यह बच्चों को स्कूल आने के लिए मोटिवेट करेगी.
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