डीएनए हिंदी: पांच राज्यों में चुनावी हार के बाद कांग्रेस में घमासान जारी है. कांग्रेस के G-23 नेताओं ने गुरुवार को 24 घंटे के अंदर दूसरी बार मुलाकात की. जी 23 नेताओं ने वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर मुलाकात कर हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर चर्चा की.
जी-23 नेताओं ने बुधवार को पहली बैठक में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में संपन्न विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार पर चर्चा की थी. इन नेताओं ने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में पूर्ण संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी.
भूपेंद्र हुड्डा की मुलाकात
इससे पहले दोपहर को जी -23 नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी से मुलाकात की थी. हुड्डा कल आजाद के घर हुई बैठक में शामिल हुए थे. कहा जा रहा है कि उन्होंने जी-23 नेताओं की चिंताओं से राहुल गांधी को अवगत करा दिया है. यह भी कयास लगाए गए हैं कि हरियाणा में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर भी बातचीत हुई है.
पांच राज्यों में कांग्रेस की चुनावी हार ने एक बार फिर गांधी परिवार के नेतृत्व को सवालों के घेरे में ला दिया है. जी 23 की बैठक में कहा गया था कि कांग्रेस समान विचारधारा वाली सभी ताकतों को साथ लाए ताकि 2024 के चुनाव में एक मजबूत विकल्प मिल सके.
कपिल सिब्बल को पार्टी से निकालने की मांग
इस बीच जी-23 के प्रमुख सदस्य पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को विरोधी बयान के लिए पार्टी से निकालने की मांग तेज हो गई है. सिब्बल ने कांग्रेस की हार के बाद एक अखबार को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि गांधी परिवार को पद छोड़ देना चाहिए और किसी दूसरे नेता को मौका देना चाहिए. उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उन्हें हार के कारणों की जानकारी नहीं है वह कल्पना लोक में जी रहे हैं.
सिब्बल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा, कपिल सिब्बल ने अनुशासन की हदें पार कर दी हैं. कांग्रेस को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें पार्टी से बाहर कर देना चाहिए. अगर वह एक लोकप्रिय नेता हैं तो उन्हें अलग पार्टी बनानी चाहिए. पार्टी के खिलाफ दूसरे प्लेटफॉर्म पर इस तरह की टिप्पणी करने से पार्टी को नुकसान होता है.
वहीं पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेता और लोकसभा सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी के भीतर 'असंतुष्टों' के इरादों पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, कुछ जी 23 नेता पार्टी के खिलाफ बयान दे रहे हैं. अगर उनकी मंशा सही है तो वे सोनिया गांधी से बात क्यों नहीं करते हैं. उन्होंने जी-23 नेताओं की खिंचाई की और पूछा कि जब उन्हें मंत्री बनाया जा रहा था तो उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर जोर क्यों नहीं दिया?