PM Modi ने दिया है Sela Tunnel का तोहफा, जानिए दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन सुरंग की 10 खास बातें

कुलदीप पंवार | Updated:Mar 09, 2024, 05:41 PM IST

Sela Tunnel Interesting Facts: महज 5 साल में बनकर तैयार हो गई सेला सुरंग की बदौलत अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा के करीब अब साल के 12 महीने आवाजाही हो सकेगी. इससे 90 मिनट का सफर कम हो गया है.

Sela Tunnel Interesting Facts: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार (9 मार्च) को अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग (Sela Tunnel) को आम जनता के लिए चालू कर दिया. इसे दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन सुरंग बताया जा रहा है. अरुणाचल प्रदेश और असम को जोड़ने वाली यह सुरंग भारतीय सेना के तेज मूवमेंट के काम आएगी. अरुणाचल प्रदेश के तवांग को असम के तेजपुर के कामेंग इलाके से जोड़ने वाली यह डबल लेन सुरंग से अब अरुणाचल प्रदेश में साल के 12 महीने आवाजाही हो सकेगी, जिससे किसी भी मौसम में भारतीय सेना आसानी से चीन सीमा तक पहुंच पाएगी. महज 5 साल में बनकर तैयार हो गई इस सुरंग को पूर्वी सेक्टर में भारत की रक्षा क्षमता के लिहाज से सामरिक अहमियत वाला माना जा रहा है. 

आइए आपको इस सुरंग की 10 खास बाते बताते हैं.

1. सेला सुरंग 13,000 फुट की ऊंचाई पर मौजूद है
सेला सुरंग अरुणाचल प्रदेश के हिमालयी इलाके में समुद्र तल से करीब 13,000 फुट की ऊंचाई पर बनाई गई है. इसका निर्माण सीमा सड़क सुरक्षा संगठन (BRO) ने किया है. यह सुरंग असम में 4 कोर मुख्यालय को अरुणाचल के तवांग इलाके से जोड़ेगी, जिससे इस इलाके में सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती में मदद मिलेगी.


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2. पीएम मोदी ने ही 2019 में रखी थी आधारशिला
इस सुरंग की नींव पीएम मोदी ने ही फरवरी, 2019 में रखी थी, जिसके निर्माण पर पांच साल के दौरान करीब 825 करोड़ रुपये की लागत आई है. BRO ने इसे अपने बनाए सबसे चैलेंजिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कैटेगरी में रखा है.

3. सेला सुरंग के अंदर बनाई गई हैं दो ट्यूब
सेला सुरंग एक डबल लेन वाली सुरंग है यानी इसमें एक सुरंग के अंदर दो ट्यूब हैं. पहली T1 ट्यूब की लंबाई 1,595 मीटर है, जबकि दूसरी T2 ट्यूब करीब 1,003 मीटर लंबी है. यह डिजाइन एक सुरंग के किसी प्राकृतिक आपदा के कारण बंद होने की स्थिति में दूसरी के जरिये रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के नजरिये से बनाया गया है.

4. एक दिन में 3,000 कारों की हो सकती है आवाजाही
इस सुरंग में एक दिन में 3,000 कार और 2,000 ट्रकों की आवाजाही हो सकती है. इसके लिए सिक्योरिटी सिस्टम के साथ ही सुरंग में ताजा हवाले के लिए वेंटिलेशन सिस्टम, रोशनी की पर्याप्त सुविधा और फायर सिस्टम की व्यवस्था की गई है.


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5. तवांग से दिरांग के बीच का सफर 90 मिनट घटेगा
इस सुरंग के कारण अरुणाचल प्रदेश में तवांग से दिरांग के बीच की दूरी करीब 12 किलोमीटर कम हो गई है. इससे सफर में पहले के मुकाबले 90 मिनट का समय बचने लगेगा.

6. ऑलवेदर कनेक्टिविटी मिलेगी इस सुरंग के कारण
अरुणाचल प्रदेश में अबी बालीपारा-चारिद्वार-तवांग (BCT) सड़क पर सेला दर्रे से होकर सफर होता था, लेकिन सर्दी में यह सड़क बंद हो जाती थी. इस सड़क के इलाके में भारी बर्फबारी होती थी, जिससे सैन्य और सिविलियन, दोनों आवाजाही बंद हो जाती थी. अब यह सुरंग नेचिपु सुरंग के साथ मिलकर इस समस्या को खत्म कर देगी. इससे इस इलाके को ऑलवेदर कनेक्टिविटी मिलने लगेगी.

7. चीन से 1962 की लड़ाई में हार का अहम कारण था ये इलाका
सेला सुरंग के कारण उस इलाके में भारतीय सेना की आवाजाही आसान हो जाएगी, जो चीन के साथ 1962 की लड़ाई में अहम इलाका था. यही इलाका भारत की हार का कारण बना था. अब इस इलाके में पूरे साल सेना के लिए आवाजाही बनी रहेगी.

8. चीन से तनाव के बीच तेजी से हुआ निर्माण
साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में भारतीय सेना के साथ झड़प के बाद चीनी सेना ने भारत से सटी 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा पर लगातार तनाव बना रखा है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में कई बार चीनी सैनिक घुस चुके हैं. ऐसे में भारतीय सेना को चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपने संचालन में तेजी दिखाने की जरूरत थी. इसी कारण सेला सुरंग महज 5 साल के अंदर ही तैयार कर दी गई है.

9. चीन नहीं रख पाएगा भारतीय सेना पर नजर
अरुणाचल प्रदेश में अभी तक सेला दर्रे से होने वाला आवाजाही पर चीन अपनी सीमा के अंदर से आसानी से निगरानी रखता था. इससे भारतीय सेना की हर हलचल की खबर उसे मिल जाती थी, लेकिन दर्रे के नीचे से गुजरने वाली सेला सुरंग के कारण चीन के लिए यह एडवांटेज खत्म हो जाएगा.

10. बोफोर्स तोप से टी-90 टैंक तक, सबकी आवाजाही संभव
सेला सुरंग को नई ऑस्ट्रेलियाई टनलिंग तकनीक से इस तरीके से बनाया गया है कि इसके अंदर बड़े से बड़े आर्टिलरी वैपन को गुजारा जा सकता है. इससे भारतीय सेना के लिए Bofors Gun (बोफोर्स तोप) और टी-90 टैंक व वज्र हॉवित्जर जैसी विशाल तोप को भी इसके अंदर से आसानी से ले जाकर चीन सीमा पर तेजी से तैनात कर सकते हैं. 

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