डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद भी शिवसेना की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. शिवसेना में अब चुनाव चिन्ह को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट (Eknath Shinde) के बीच खींचतान शुरू हो गई है. यह मामला चुनाव आयोग पहुंच गया है. चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के दोनों गुटों से पार्टी के चुनाव चिह्न पर उनके दावों के समर्थन में दस्तावेज जमा कराने को कहा है.
चुनाव आयोग (Election Commission) ने दोनों गुटों से 8 अगस्त तक दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है. चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों से दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा गया है, जिनमें पार्टी की विधायी और संगठनात्मक इकाइयों से समर्थन का पत्र और विरोधी गुटों के लिखित बयान शामिल हैं. इस सप्ताह शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पार्टी का ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न उसे देने का अनुरोध किया था. शिंदे गुट ने इसके लिए लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में उसे मिली मान्यता का हवाला दिया था.
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30 जून एकनाथ शिंदे ने ली थी CM पद की शपथ
गौरतलब है कि शिवसेना पिछले महीने तब दो धड़ों में बंट गई थी जब उसके दो-तिहाई से अधिक विधायकों ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार से बगावत कर दी थी और शिंदे का समर्थन किया था. एकनाथ शिंदे ने 30 जून को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोग से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. बीते मंगलवार को लोकसभा में शिवसेना के 18 में से कम से कम 12 सांसदों ने सदन के नेता विनायक राउत के प्रति अविश्वास जताया था और राहुल शेवाले को अपना नेता घोषित किया था.
लोकसभा अध्यक्ष ने उसी दिन शेवाले को नेता के तौर पर स्वीकृति दे दी थी. यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी गुट सूचना से वंचित न रहे, चुनाव आयोग ने पिछले 2 दिनों में दोनों समूहों द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों के आदान-प्रदान के निर्देश दिए हैं. चुनाव चिह्न को लेकर दावा इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्य निर्वाचन अयोग को दो सप्ताह के भीतर स्थानीय निकायों के चुनावों को अधिसूचित करने का निर्देश दिया था.
BMC चुनाव से पहले चुनाव चिन्ह को लेकर टकराव
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) समेत कई नगर निकायों में चुनाव होने हैं. वहीं, उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले शिवसेना के गुट ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वह पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावे से जुड़े किसी भी आवेदन पर फैसला लेने से पहले उनका पक्ष सुने.
(भाषा इनपुट के साथ)
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