Shocking News: 30 साल के जवान बेटे के लिए सुप्रीम कोर्ट से मौत मांगने पहुंचे मां-बाप, कारण जानकर रो देंगे आप

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Aug 21, 2024, 02:51 PM IST

Shocking News: सुप्रीम कोर्ट के जज भी मां-बाप की याचिका देखकर हैरान रह गए. उन्होंने बुजुर्ग दंपती के साथ हमदर्दी जताई, लेकिन उनकी मांग मानने से इनकार कर दिया.

Shocking News: कोई भी मां-बाप अपने बेटे के जवान होने का इंतजार करते हैं. बेटे की लंबी आयु के लिए मंदिरों के चक्कर काटते हैं, लेकिन यदि आपको बताया जाए कि एक बुजुर्ग दंपती अपने 30 साल के बेटे के लिए मौत की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं तो आप क्या कहेंगे? दरअसल ये बेहद अनूठी खबर है, जिसमें बुजुर्ग मां-बाप ने दिल्ली पहुंचकर अपने इकलौते बेटे के लिए सुप्रीम कोर्ट से मौत मांगी है. उनका बेटा 11 साल से कोमा में बिस्तर पर है. सुप्रीम कोर्ट के जज भी मां-बाप की मांग सुनकर हैरान रह गए. उन्होंने मां-बाप के साथ हमदर्दी तो जताई, लेकिन उनकी मांग को मानने से इंकार कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सरकार को निष्क्रिय इच्छामृत्यु (पैसिव यूथेंसिया) की अनुमति देने के बजाय मरीज के उपचार और देखभाल के लिए उसे सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करने की संभावना तलाशकर जवाब दाखिल करने को कहा है.

11 साल से बेहोश है बुजुर्ग दंपति का बेटा

दरअसल बुजुर्ग दंपती अपने इकलौते बेटे हरीश राणा के लिए मौत मांगने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उनका कहना है कि हरीश साल 2013 से अस्पताल में कोमा की हालत में बिस्तर पर है. उसे नाक के रास्ते डाली गई ट्यूब से ही खाना और दवा दिया जाता है. इस अचेत अवस्था (वेजिटेटिव स्टेट) से हरीश के कभी वापस होश में आने की कोई संभावना डॉक्टरों ने पूरी तरह नकार दी है यानी उसे जिंदा रहने तक इसी हालत में रहना होगा. बुजुर्ग दंपती का कहना है कि बेटे के इलाज के लिए वे अपना घर भी बेच चुके हैं. ऐसे में उनके पास अब उसका इलाज जारी रखने का कोई तरीका नहीं बचा है.

पेइंग गेस्ट हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिर गया था हरीश

बुजुर्ग दंपती ने अपने बेटे की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें इच्छामृत्यु की मांग की गई है. उनका बेटा पंजाब यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट्स था. साल 2013 में पेइंग गेस्ट हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिरने के कारण वह कोमा में चला गया था. इसके बाद से वह बेहोशी की ही हालत में है. हालांकि उसे वेंटिलेटर पर नहीं रखना पड़ा है. परिवार ने उसका हरसंभव इलाज कराया है, लेकिन 11 साल बाद भी उसे होश नहीं आया है. उन्होंने हाई कोर्ट से मेडिकल बोर्ड का गठन कर उनके बेटे को इच्छा मृत्यु देने की संभावना पर रिपोर्ट मांगने की गुहार लगाई थी. जुलाई में हाई कोर्ट ने उनकी मांग को खारिज कर दिया था. इसके बाद बुजुर्ग दंपती ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

चीफ जस्टिस की बेंच के सामने रखा गया मामला

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने ये मामला पेश किया गया. चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की मौजूदगी वाली बेंच यह माामला देखकर हैरान रह गई. बेंच ने बुजुर्ग माता-पिता की उपचार कराने की आर्थिक स्थिति नहीं होने की बात तो मानी, लेकिन उनके बेटे को पैसिव डेथ देने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया. बेंच ने कहा कि वेंटिलेटर पर नहीं होने के चलते मरीज को उसकी हालत पर छोड़ देना ठीक नहीं होगा. बेंच ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट का मेडिकल बोर्ड गठित नहीं करने का फैसला पूरी तरह सही है. बेंच ने कहा कि कोई भी डॉक्टर किसी ऐसे मरीज की मौत का कारण नहीं बनना चाहेगा, जो बिना किसी यांत्रिक सहायता के जीवित है.

केंद्र सरकार बताए कि क्या कर सकते हैं इस केस में

बेंच ने यह कहा कि मरीज के मां-बाप अब बुजुर्ग हो चुके हैं. इस उम्र में इतने साल से बिस्तर पर पड़े अपने बेटे की देखभाल नहीं कर सकते हैं. हम केंद्र को नोटिस जारी करते हैं, जिसमें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASH) ऐश्वर्या भाटी हमें मदद करें. सरकार यह देखे कि उसे अपनी हालत पर छोड़ने के अलावा क्या मानवीय समाधान हो सकता है. क्या उसे कहीं और रखा जा सकता है, क्योंकि यह बेहद जटिल मामला है. 

(With Bhasha Inputs)

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