Gyanvapi Masjid: श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर 38 साल से चल रही थी जद्दोजहद!

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 24, 2022, 07:11 AM IST

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Shringar Gauri Worship Case: इस मामले की चर्चा भले ही पिछले साल पांच महिलाओं के कोर्ट जाने के बाद आई हो लेकिन इस मामले की उत्पत्ति 38 साल पहले की है.

डीएनए हिंदी: ज्ञानवापी मस्जिद मामले की चर्चा पूरे देश में हो रही है. ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Case) है या मंदिर इसपर पूरे देश में चर्चा हो रही है. इसके अलावा चर्चा श्रृंगार गौरी पूजा को लेकर भी हो रही है. श्रृंगार गौरी पूजा केस पिछले साल उस समय चर्चा में आया जब पांच महिलाओं ने वाराणसी की अदालत में देवी और अन्य देवताओं की निर्बाध पूजा के अधिकार की मांग की. हालांकि श्रृंगार गौरी मामले की उत्पत्ति 38 साल पहले की है.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में शुरू से ही अभियान की अगुवाई करने वालों में VHP की काशी इकाई के उपाध्यक्ष सोहन लाल आर्य और एक वादी लक्ष्मी देवी के पति हैं. सोहन लाल आर्य ने बताया, "मैं दिवंगत महंत परमहंस दास की राम जन्मभूमि में केंद्रीय गुंबद के नीचे रामलला रखने की भूमिका से प्रेरित था और मस्जिद परिसर में देवताओं की पूजा फिर से शुरू करने के तरीकों की तलाश शुरू कर दी."

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यह स्पष्ट करते हुए कि इस मामले में विहिप की कोई भूमिका नहीं थी, आर्य ने कहा, "1984 में मैंने ऐसे लोगों से मिलना शुरू किया, जिनके बारे में मुझे लगा कि वे अदालती कार्यवाही शुरू करने के लिए तथ्यों को इकट्ठा करने में मदद कर सकते हैं. लेकिन यह बात नहीं बनी. अंत में मैं वैदिक अध्ययन केंद्र के एक वरिष्ठ शास्त्री से मिला, जिन्होंने मुझे ज्ञानवापी परिसर की जमीनी हकीकत के बारे में बताया."

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सोहन लाल आर्य ने बताया, "वास्तुकला की नागर शैली के मंदिरों में आठ मंडप हैं - गणेश, ऐश्वर्या, भैरव, ज्ञान, तारकेश्वर, मुक्ति, दंडपाणि और श्रृंगार."

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उन्होंने कहा कि जब 1669 में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा आदि विश्वेश्वर मंदिर पर हमला किया गया था, तो उसने मस्जिद बनाने के लिए मंदिर के गर्भगृह के साथ-साथ ऐश्वर्या और मुक्ति मंडपों को नष्ट कर दिया था. आर्य ने आगे कहा कि पश्चिम में गणेश, श्रृंगार और दंडपाणि मंडप और भैरव, ज्ञान और तारकेश्वर मंडप नष्ट नहीं किए जा सके.

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सोहन लाल आर्य ने बताया, "1995 में इसी मांगों के साथ जिला अदालत में एक याचिका दायर की गई थी. अदालत ने एक आयोग भी नियुक्त किया, जिसने मई 1996 में बाहरी क्षेत्र का सर्वेक्षण किया लेकिन ज्ञानवापी के आंतरिक क्षेत्र का सर्वेक्षण विरोध के कारण नहीं किया जा सका."

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सोहन लाल आर्य 2018-19 में मथुरा में थे, जब उन्होंने विश्व वैदिक सनातन संघ (वीवीएसएस) के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन से मुलाकात की, जो अधिवक्ता हरि शंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन को जानते थे. विसेन की भतीजी राखी सिंह, आर्य की पत्नी लक्ष्मी देवी और वाराणसी निवासी सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने पिछले साल दीवानी न्यायाधीश की अदालत में याचिका दायर कर श्रृंगार गौरी, गणेश, हनुमान और नंदी की दैनिक पूजा की अनुमति देने के अलावा मूर्तियों को नुकसान न पहुंचने के लिए कदमों उठाने की मांग की.

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