दिल्ली में SKM नेताओं की बैठक आज, 4 राज्यों में BJP की जीत के बाद अब बनेगी किसानों की नई रणनीति!

| Updated: Mar 14, 2022, 10:52 AM IST

राकेश टिकैत ने चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद कहा था कि उनकी लड़ाई किसी पार्टी से नहीं है.

डीएनए हिंदी: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसान संगठनों ने बीजेपी के खिलाफ पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections 2022) में विरोध के कई सुर उठाए लेकिन इसका भाजपा पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा और पार्टी चार राज्यों में दोबारा सत्ता में आ गई है. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) को बड़ा झटका लगा है जिसके बाद आज ये किसान संगठन आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए बैठक करेंगें. खबरें हैं कि किसान संगठन फिर से किसान आंदोलन शुरू कर सकते हैं.

दिल्ली में आज बैठक

बीजेपी के खिलाफ लगातार आवाज मजबूत कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करने के लिए आज दिल्ली में  बैठक करेगा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक की संयुक्त किसान मोर्चा की इस बैठक में आंदोलन फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर चर्चा हो सकतीं है जिससे फिर से बीजेपी पर दबाव बनाया जा सके.

गौरतलब है कि बीजेपी की जीत के बाद सवालों के जवाब देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के ही एक किसान नेता ने कहा है कि किसानों का लक्ष्य केवल एक चुनाव तक सीमित नहीं था. वहीं भारतीय भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait)  ने कहा, “जो भी पार्टी सत्ता में आए, हमारी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. मैं यूपी चुनाव के बारे में बात नहीं करना चाहता. वह अब खत्म हो गया लेकिन आंदोलन शत-प्रतिशत जारी रहेगा. मैं एसकेएम के साथ हूं.”

किसानों पर लगे हैं मुकदमे 

ध्यान देने वाली बात यह है कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे और हिंसा को रोकने के लिए कार्रवाई भी हुई थी जिसके बाद अब किसान यूनियनों की तत्कालिक चिंता यह है कि इन मुकदमों को वापस लिया जाए. इसको लेकर पश्चिम बंगाल में एसकेएम के चेहरे अविक साहा ने कहा, “मुझ पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं. क्या मैं आतंकवादी हूँ?” ऐसे में अब मोर्चा लगातार मुकदमे वापस लेने की मांग भी कर रहा है. 

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पांच राज्यों में किसान संगठनों द्वारा विरोध करने बावजूद जिस तरह भाजपा की 4 राज्यो में धमाकेदार जीत हुई है वो किसान संगठनों के लिए झटका है. ऐसे में यह देखना होगा कि आज ये किसान संगठन आज की बैठक में क्या फैसला करते हैं.

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