डीएनए हिंदी: राजस्थान में पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने राजस्थान टीचर्स एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर्स (REET) जयपुर के जिला समन्वयक प्रदीप पाराशर को परीक्षा पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया है. प्रदीप पाराशर को एसओजी हेडक्वार्टर लेकर गई थी.
कहा जा रहा है कि SOG पाराशर को सरकारी गवाह बना सकती है. एसओजी की पूछताछ में पाराशर ने बोर्ड अध्यक्ष डॉ. जारौली पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने ही आरोपी रामकृपाल मीणा को शिक्षा संकुल में पेपर की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया था. पेपर भी यहीं से लीक किया गया और करोड़ों में बेचा गया.
बताया जाता है कि शिक्षा संकुल से प्रदीप पाराशर ने ही पेपर आरोपी रामकृपाल मीणा और उदाराम को दिया था. यहां से पेपर भजनलाल, पृथ्वीलाल मीणा सहित नकल गिरोह तक पहुंचाया गया. रीट परीक्षा प्रश्न पत्र लीक मामले में राजस्थान सरकार ने शनिवार को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. धर्मपाल जारौली को बर्खास्त कर दिया था.
सरकार का कहना है कि जारौली अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया.
क्या है पूरा मामला?
राजस्थान में 31 हजार पदों पर तृतीय श्रेणी अध्यापक बनने के लिए भर्ती निकाली गई थी. इसके लिए राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर्स (REET) का आयोजन किया गया था. परीक्षा में लगभग 15 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया.
कुछ दिन बाद ही पेपर लीक की खबर सामने आई. जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच एसओजी को सौंप दी. एसओजी इस मामले में अब तक मास्टरमाइंड आरोपी उदाराम विश्नोई और रामकृपाल मीणा को गिरफ्तार कर चुकी थी. उन्हें कोर्ट ने जेल भेज दिया है.
अब तक कुल 35 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. मामले में डॉ. जारौली का भी नाम सामने आया. विपक्ष इस मामले पर लगातार हमलावर रहा है. इसके बाद डॉ. जारौली को पद से हटाने का फैसला ले लिया गया.
सीएम गहलोत ने दिया यह बयान
सीएम गहलोत ने कहा, हर राज्य के अंदर पेपर लीक की गैंग बन चुकी हैं. बेरोजगारी इसमें बड़ा कारण है लेकिन राजस्थान की सरकार ने भनक लगते ही इसमें एक्शन लिया है. एसओजी ने कम समय में ही काफी अच्छा काम किया है. हमें उनके काम की सराहना करनी चाहिए. विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने भी उन्हें एप्रिशिएट किया है. सरकार अगली विधानसभा में पेपर लीक के खिलाफ बिल लेकर आएगी. जब 25 लाख विद्यार्थियों का भविष्य दाव पर लगा हो तो मामला काफी गंभीर है.