Supreme Court ने दी दिल्ली में मुख्य सचिव के सेवा विस्तार को हरी झंडी, नियुक्ति विवाद में राज्य सरकार को बड़ा झटका

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 29, 2023, 06:05 PM IST

सुप्रीम कोर्ट.

Aap vs BJP: दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद चल रहा है. ऐसे में केंद्र के मुख्य सचिव नरेश कुमार को 6 महीने का सेवा विस्तार देने का दिल्ली सरकार ने विरोध किया है.

डीएनए हिंदी: Delhi News- दिल्ली में अधिकारयों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और राज्य सरकार में चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को केंद्र द्वारा 6 महीने का सेवा विस्तार देने का फैसला सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह किसी कानून का उल्लंघन नहीं है. इसे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जो ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्य सरकार के हाथ में दिए जाने की वकालत कर रही है.

क्या था मौजूदा विवाद, पहले ये जानिए

दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार 30 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने उनकी जगह नए मुख्य सचिव की तैनाती करने के बजाय नरेश कुमार को ही 6 महीने का सेवा विस्तार दिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले का दिल्ली सरकार विरोध कर रही है. केंद्र के फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास है. मौजूदा कानून के हिसाब से केंद्र सरकार का मुख्य सचिव नरेश कुमार को 6 महीने का एक्सटेंशन देना पूरी तरह वैध है. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ट्रांसफर-पोस्टिंग केंद्र सरकार का अधिकार है. शीर्ष अदालत ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई है. 

'सौहार्दपूर्ण ढंग से क्यों नहीं मिल सकते LG और CM'

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले केंद्र से नए मुख्य सचिव का नाम मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने 24 नवंबर को सुनवाई में कहा था कि 28 नवंबर की सुबह 10.30 बजे तक दिल्ली के नए मुख्य सचिव के लिए 5 सीनियर IAS का नाम सुझाए. इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को एक्सटेंशन देने के फैसले को सही ठहराया है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिल्ली सरकार पर तीखा तंज भी कसा. बेंच ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि नियुक्ति के लिए नामों पर निर्णय लेने के लिए उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री सौहार्दपूर्ण ढंग से क्यों नहीं मिल सकते?

दिल्ली सरकार और एलजी के बीच नियुक्ति के अधिकार पर है गतिरोध

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में से ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार किसके पास है, इसे लेकर लगातार गतिरोध चल रहा है. यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार के हक में फैसला होने के बाद केंद्र सरकार ने नया कानून बनाकर यह अधिकार दोबारा उपराज्यपाल को सौंप दिया था. इस कानून को आम आदमी पार्टी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है. इसी आधार पर राज्य सरकार मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी.

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