Supreme Court News: योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की स्वदेशी उत्पाद कंपनी पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने पतंजलि आयुर्वेद को अपने उत्पादों को रोगों की दवाई के उपचार के तौर पर प्रचारित करने से रोक दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा, 'पूरे देश के साथ इसके जरिये छल किया जा रहा है.' पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे विज्ञापन करने पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) को नोटिस जारी किया है. उनसे इस बात का जवाब मांगा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद ने अपने उत्पादों के विज्ञापन और दवा के तौर पर उनके प्रभाव को लेकर कोर्ट में दाखिल अपने शपथपत्र का पहली नजर में उल्लंघन किया है. इसके लिए उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए?
केंद्र सरकार से भी मांगा है जवाब
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद के मामले की सुनवाई की. यह सुनवाई इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की तरफ से दाखिल याचिका पर हो रही है. इस याचिका में IMA ने बाबा रामदेव पर वैक्सीनेशन व आधुनिक दवाइयों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया है. सुनवाई के दौरान मंगलवार को डबल बेंच ने पतंजलि कंपनी को उपचार की किसी भी पद्धति के खिलाफ मीडिया में बयान देने के लिए आगाह किया. बेंच ने कंपनी को याद दिलाया कि ऐसा कोई बयान नहीं देने के बारे में वह 21 नवंबर 2023 को दिए शपथपत्र में वचन दे चुकी है. बेंच ने केंद्र सरकार से भी जवाब तलब किया है. केंद्र सरकार से पूछा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयों के प्रभाव से जुड़े विज्ञापनों में गलत व भ्रामक दावों के खिलाफ उसने क्या कार्रवाई की है?
ASG ने कहा, 'कार्रवाई करना राज्य सरकारों का काम'
बेंच के सामने केंद्र सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) के. एम. नटराज ने पक्ष रखा. बेंच द्वारा पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ पूछी गई कार्रवाई के बारे में सवाल किया. बेंच ने कहा, दो साल से आप कार्रवाई करने का इंतजार कर रहे हैं, जबकि कानून इसे पूरी तरह निषिद्ध बताता है. केंद्र तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? इस पर ASG ने कहा, औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के तहत कार्रवाई करना राज्य सरकारों के अधिकार के दायरे में आने वाला काम है.
19 मार्च को होगी अगली सुनवाई
पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से 21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया था. इस हलफनामे में विज्ञापन जारी करने या उत्पादों की ब्रांडिंग करने में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करने के लिए आश्वस्त किया गया था. साथ ही कहा गया था कि कंपनी के उत्पादों के औषधीय प्रभाव को लेकर भी कोई दावा नहीं किया जाएगा. इस हलफनामे के बावजूद पतंजलि आयुर्वेद ने एक ऐसा विज्ञापन जारी कर दिया, जिसे लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट बेहद नाराज दिखाई दिया. बेंच ने कहा, आपने हमारे आदेश का उल्लंघन करने की हिम्मत और साहस दिखाया है. हम एक बहुत कड़ा आदेश पारित करने जा रहे हैं. नाराज बेंच ने कहा, प्रतिवादी संख्या 5 (पतंजलि आयुर्वेद) और इसके प्रबंध निदेशक के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू होनी चाहिए, इसका नोटिस जारी किया जाए. इस पर पतंजलि के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च तक का समय देते हुए उसी दिन सुनवाई करने का आदेश दिया है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.