Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में पिछले दो साल में तेजी से लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ी है? भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) से जब शुक्रवार को यह सवाल किया गया तो उन्होंने इसके पीछे का राज सभी को बताया. दरअसल चंद्रचूड़ शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर होने जा रहे हैं. उनके रिटायरमेंट के मौके पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने एक विदाई समारोह का आयोजन किया, जिसमें उनके सामने यह सवाल उठाया गया था. चीफ जस्टिस ने बताया कि उनके कार्यकाल में लंबित मुकदमों की संख्या एक खास परंपरा को बदले जाने के कारण बढ़ती दिखाई दी है.
इस कारण 82 हजार हो गए लंबित मामले
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछले दो साल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 1,11,000 मामले दर्ज किए गए. इस दौरान 5,33,000 मामले सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए गए और 1,07,000 मामलों का निपटारा किया गया. इस दौरान कहीं कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 82,000 हो गई है. आज मैं आपको इस आंकड़े का हिसाब दूंगा. चीफ जस्टिस ने कहा,'नवंबर,2022 से पहले कभी भी सार्वजनिक डोमेन में वे केस पेश नहीं किए जाते थे, जो अपंजीकृत या दोषपूर्ण होते थे. इस कारण ऐसे मामलों का हिसाब नहीं होता था. चीफ जस्टिस बनने पर मैंने रजिस्ट्रार की अलमारी में 1,500 फाइलें बंद पड़ी देखीं. मैंने इस सिस्टम को बदलने का फैसला लिया.'
नई प्रक्रिया कराई शुरू, जिससे बढ़ गए केस
चीफ जस्टिस ने कहा,'मैंने सिस्टम में आने वाले हर केस को एक नंबर से टैग करने की नई प्रक्रिया शुरू कराई. इसके बाद सभी लंबित मामलों का डेटा सार्वजनिक डोमेन में डालने का फैसला किया. इसमें पंजीकृत, अपंजीकृत सभी तरह के केस थे. इसके चलते 1 जनवरी 2020 को 79,000 लंबित केस थे. इनमें दोषपूर्ण कहे जाने वाले मामले भी शामिल हैं. दो साल बाद यानी 1 जनवरी 2022 को यह संख्या 93,000 तक पहुंच गई, लेकिन 1 जनवरी 2024 को घटकर 82,000 रह गई. इसलिए इसमें पंजीकृत और अपंजीकृत दोनों तरह के मामले शामिल हैं और दो वर्षों में संख्या में 11,000 की कमी आई है.'
कर्तव्य की सीमा से आगे जाकर खुद को झोंक रहे हैं जज
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने साथी जजों की तारीफ की. उन्होंने कहा कि मेरे हर सहयोगी ने खुद को कर्तव्य की सीमा से आगे जाकर झोंका है और चीफ जस्टिस के तौर पर मेरी तरफ से दिए काम को स्वीकार किया है. टॉप कोर्ट में दाखिल होने वाले मामले दोगुने हो गए हैं. पिछले दो साल में ही 21,000 जमानत याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने 21,358 जमानत याचिकाओं का निपटारा किया है.' 65 साल की आयु में रिटायर हो रहे सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपना उत्तराधिकारी जस्टिस संजीव खन्ना को चुना है. चंद्रचूड़ की सिफारिश को पिछले महीने केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी, अब जस्टिस खन्ना 11 नवंबर को देश के 51वें चीफ जस्टिस बनेंगे.
ऐसा रहा है चंद्रचूड़ का करियर का सफर
- दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में बीए ऑनर्स करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से LLB किया.
- जून, 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें सीनियर एडवोकेट नामित किया. वे 1998 से 2000 तक देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे.
- 29 मार्च, 2000 को वे बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बने. फिर 31 अक्टूबर, 2013 से 13 मई, 2016 तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे.
- मई, 2016 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बनाया गया. इसके बाद नवंबर, 2022 में वे देश के 50वें चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्त किए गए.
(With IANS Inputs)
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