'याद रखिए, हम भी सुप्रीम कोर्ट ही हैं' गर्भपात केस में सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने क्यों लगाई केंद्र सरकार को फटकार

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 11, 2023, 06:14 PM IST

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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट बेंच ने 26 महीने के गर्भ को गिराने की इजाजत मांग रही महिला के केस में बंटा हुआ फैसला दिया है. इसी दौरान एक मुद्दे को लेकर जस्टिस नागरत्ना ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को फटकार लगाई है.

डीएनए हिंदी: Latest News in Hindi- सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने बुधवार को 26 महीने का गर्भ गिराने की इजाजत मांग रही विवाहित महिला की याचिका पर विभाजित फैसला दिया है. अब इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी, जिसके लिए डबल बेंच ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को केस रेफर कर दिया है. इससे पहले सुनवाई के दौरान उस समय कोर्ट रूम का माहौल हंगामेदार हो गया, जब जस्टिस बीवी नागरत्ना केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी पर भड़क गईं. जस्टिस नागरत्ना ने ASG भाटी को फटकार लगाने वाले अंदाज में कहा कि हम भी सुप्रीम कोर्ट ही हैं. ये बात आपको याद रखनी चाहिए. दरअसल जस्टिस नागरत्ना इस बात पर नाराज थीं कि उनकी बेंच द्वारा पारित एक फैसले को वापस कराने के लिए केंद्र सरकार ने सीधे चीफ जस्टिस के पास याचिका क्यों दाखिल कर दी है, जबकि तय प्रक्रिया के मुताबिक पहले उनकी बेंच में ही पुनर्विचार याचिका दाखिल होनी चाहिए थी.

'सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच का आदेश, सुप्रीम कोर्ट का ही आदेश है'

Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस हिमा कोहली की एक बेंच का आदेश वापस कराने के लिए केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस के सामने इसे मौखिक रूप से पेश किया था. इससे नाराज जस्टिस नागरत्ना ने ASG भाटी से कहा, बिना आवेदन दाखिल किए किसी दूसरी बेंच द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप के लिए सीधे चीफ जस्टिस से संपर्क करने की संघ की कार्रवाई परेशान और चिंतित करने वाली है. ऐसी मिसाल कायम होने पर कोर्ट सिस्टम चरमरा जाएगा. जस्टिस नागरत्ना ने ASG से कहा कि हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते. आपको समझना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच सुप्रीम कोर्ट है और उसका आदेश सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला है. हम ऐसा (सीधे चीफ जस्टिस के सामने जाने) की इजाजत नहीं दे सकते. इससे हर निजी पार्टी भी यही करने लगेगी. हालांकि ASG भाटी ने जस्टिस नागरत्ना से माफी मांगते हुए उन्हें बताया कि आपके आदेश में मंगलवार को ही गर्भपात कराने का आदेश था. इस कारण उन्हें चीफ जस्टिस से हस्तक्षेप की गुहार लगानी पड़ी है.

क्या हुआ था पूरा मामला

दरअसल जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस कोहली की बेंच ने विवाहित महिला को 26 सप्ताह का भ्रूण गिराने की इजाजत सोमवार (9 अक्टूबर) को अपने फैसले में दी थी. इसके लिए महिला को दिल्ली AIIMS से संपर्क करने केलिए कहा गया था. इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की तरफ से ASG भाटी ने मंगलवार शाम 4 बजे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने पेश होकर इस आदेश का मौखिक जिक्र किया था. उन्होंने AIIMS के डॉक्टरों की भ्रूण के जिंदा पैदा होने की संभावना का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार की तरफ से डबल बेंच का फैसला वापस लेने का आग्रह किया था. इसके बाद चीफ जस्टिस ने एम्स को गर्भपात की प्रक्रिया रोकने और संघ को फैसला वापस लेने के लिए आवेदन दाखिल करने का आदेश दिया था. इसके बाद ही यह मामला दोबारा बुधवार को जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस कोहली की बेंच के सामने पहुंचा था.

गर्भपात को लेकर दोनों जजों की राय अलग-अलग

बुधवार को 27 वर्षीय महिला के 26 सप्ताह के गर्भपात को लेकर दोनों जजों की राय जुदा रही. जस्टिस कोहली ने अपने फैसले में लिखा कि वे गर्भपात की इजाजत देने के पक्ष में नहीं हैं, जबकि जस्टिस नागरत्ना ने 9 अक्टूबर के फैसले को वापस लेने की केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह फैसला सही है. हालांकि याचिकाकर्ता की तरफ से गर्भपात की मांग पर अड़े रहने के चलते दोनों जजों ने यह फैसला चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया ताकि इसके लिए तीन जजों की बेंच की नियुक्ति की जा सके. 

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